Book Title: Guruswadhyaya tatha Bhas
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ १८ अनुसन्धान-५९ अनुक्रमे गुरु विहार करता अमदावाद पधार्या. अहीं दोसी पंचायणे १३ शेर प्रमाण रू' कनकथी युक्त एवी प्रतिमानी तेमज कळशनी श्रेणीओनी प्रतिष्ठा सूरिजीने हाथे करावी. त्यांथी वीरनगरमा मन्त्री देवदासे गुरुनी पधरामणी करी, तेमज ६३ श्रावको साथे शीलव्रत उच्चपुं. विहार करी गुरु वटपद्र (वडोदरा) पधार्या त्यारे अहींना गंग मन्त्रीए गुरुना गणधर पदनो महोत्सव को. शाह पूनागरे मङि-सावटू विगेरेनी लाणी करी. अणहिल्लवाडमां वस्तुपाले प्रतिष्ठा महोत्सव को [देखदेखाडवू एटले प्रसंग बताववो ?] तेमज सावटू आपवा पूर्वक संघपूजा करी. गुरुना ज समयमा संघपति कर्मण अने हर्षागर दोसीए पुस्तको लखावी भण्डार कराव्यो हतो. पाटणमां ज्यारे गुरुए श्रीसौभाग्यनन्दिने अने प्रमोदसुन्दरने गणधर पद आप्युं त्यारे संघपति श्रीराजे घणुं धन वापर्यु अने ८४ गच्छने विविध पहेरामणीथी सन्तोष्या. आ प्रसंगे संघपति सोमदत्ते २७ पोषधशाळा, रूपा सहितना कल्पसूत्रनुं लेखन, मोटा चन्दरवा, ठवणी प्रमुख घणी धर्मसामग्री करावी. (कृतिमां वपरायेल नंग शब्द रत्न माटे होय तो ७८ रत्ने पौषधशाळा अने बीजा घणा रत्ने धर्मना उपकरणो कराव्या एम समजवू पडे). वळी आ प्रसंगे पण्डितपद, उपाध्यायपद, प्रवर्त्तिनीपद, गणिपदनी साथे घणां पुरुष-स्त्रीनी दीक्षाओ पण थई. आम अनेक शासन-प्रभावनानां कार्यो करी सं. १५६७मां मागसर सुद १३ना गुरुवारे पाटणमां तेमनो स्वर्गवास थयो. काव्य, मूल्य विविध दृष्टिए ___कर्माशाकृत शान्तिनाथप्रासाद-सप्तमोद्धारप्रशस्ति, विमलप्रबन्ध, सुमतिसाधु विवाहलो जेवी घणी ऐतिहासिक कृतिओनी रचना कवि लावण्यसमये करी छे. प्रस्तुत कृति नानी होवा छतां ऐतिहासिक दृष्टिए महत्त्वनी छे. इन्द्रनन्दिसूरिजीना चरित्र उपरांत दोसी पंचायणे करावेल बिम्बनी प्रतिष्ठा, पाटणमां वस्तुपाले करावेल प्रतिष्ठा, श्रावक सोमदत्ते करावेल २७ पौषधशाळा इत्यादि नोंधो इतिहासनी कडीरूप छे. तो सामाजिक दृष्टिए जन्मोत्सव करी नामकरण करवानी, अन्य साधु पासे भणवा मोकलवानी, विशिष्ट प्रसङ्गोए सङ्घभक्तिरूप ल्हाणीनी, संयमीना काळधर्म प्रसङ्गे तेमना देहनो अग्निसंस्कार करवानी विगेरे रिवाजोनी नोंध महत्त्वनी छे. भाषाकीय दृष्टिए ए काळे वपराता मडि, सावटू, जङ्गपरा, सइं जेवा शब्दो पण तेटलाज महत्त्वना छे.

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10