________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates [181] वाणी अमृत-घोली है, सारी दुनियां डोली है, वीतरागके गुप्त हृदयकी अंतर्ग्रन्थि खोली है। धन्य धन्य० 3 जनम-जनमका अंत करे तू ऐसा महिमावंत है, करुणामय वात्सल्यमूर्ति गुरु अद्भुत शक्तिवंत है; कल्पवृक्ष सम वांछितदाता, भारत-भाग्यविधाता है, तुझ मंगल छाया में जगमें जिनशासन जयवंत है; ज्ञान और वैराग्य-भक्तिका संगम मंगलकार है, कहान-गुरुवर शाश्वत चमको, वन्दन वारंवार है। धन्य-धन्य० 4 गुणमूर्ति सीमंधरनन्दन स्वर्णपुरी-शणगार हैं, जीवनशिल्पी नाथ अहो आत्मा के आधार हैं; दुषमकालमें मुक्तिदूत, भविभक्तोंको वरदान है, तेरी स्वर्णिम गुणगणगाथा भवदधितारणहार है; शाश्वत शरण तुम्हारा हो, चाहे जगत किनारा हो, भवभवमें तुझ दास रहें, बस तू आदर्श हमारा हो; धन्य धन्य दिन आज है, मंगलमय सुप्रभात है. उजमबाके राजदुलारेका मंगल अवतार है। 5 Please inform us of any errors on rajesh@Atma Dharma.com