Book Title: Gurudev shreena vchanamrut
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 204
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates १२. धन्य-धन्य दिन आज है धन्य धन्य दिन आज है, मंगलमय सुप्रभात है, उजमबाके राजदुलारेका मंगल अवतार है; धन्य-धन्य० उमरालाके द्वार द्वार पर बाज रही शहनाइयां, 'मोती' राजा ‘उजमबा' घर मंगल गीत बधाइयां; सुर-नर-नारी सब मिल मंगल जन्मोत्सवको मना रहे, बालसुलभ लीलासे देखो सब चितमें हरियालियां; पूर्णचन्द्र सम मुखडा तेरा जग-आकर्षणहार है, सूर्यप्रभासे भी अधिका यह अनुपम तव देदार है। धन्य-धन्य. १ दिव्य विभूति कहानगुरुजी सिंहकेसरी हैं जागे, धर्मचक्रीकी अमर पताका देशोंदेशमें फहराये; ओ पुराण पुरुषोत्तम त सर्वांग सुमंगलकार है, तुझ दर्शनसे भारतवासी भाग्यशाली हैं कहलाये; तीर्थ समा पावन मन है, खिला हुआ नन्दनवन है, कल्याणी चिन्मूर्ति पर यह न्योच्छावर सब जगजन है। धन्य-धन्य. २ चैतन्यप्रभुका अजब-गजबका रंग गुरुमें छाया है, और उसे ही भक्तोंके अंतस्तलमें फैलाया है; स्वानुभूतियुगस्रष्टा तेरी धवलकीर्ति दशदिशव्यापी, साधकका विश्राम गुरु मंगल तीरथ कहलाया है; Please inform us of any errors on rajesh@ Atma Dharma.com

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