Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti

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Page 10
________________ गिरनार तलेटीएथी जगमा तीरथ दो वडा, शजय गिरनार, . एक गढ ऋषभ समोसर्या, एक गढ नेमकुमार. जगप्रसिद्ध तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय महातीर्थनी स्पर्शना-भक्ति आजे चतुर्विधसंघमां दिनप्रतिदिन विस्तार पामी छे, तेवा अवसरे आ विश्वना द्वितीय जगप्रसिद्ध श्री गिरनारजी महातीर्थ प्रत्ये केटलाक वर्षोथी समस्तजैनसंघो द्वारा उपेक्षा सेवायेल छे. जेना परिणामे अतीत-अनागत अनंता तीर्थंकरो तथा वर्तमान चोवीसीना बावीसमा तीर्थंकर बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथ परमात्माना दीक्षाकेवळज्ञान अने मोक्षकल्याणकोथी पावन बनेली आ तीर्थभूमि चतुर्विघसंघ द्वारा अल्प स्पर्शायेल रहेल छे. परमात्मा अने पूज्योना प्रसादथी छेल्ला सात वर्षथी आ महातीर्थना माहात्म्यने समस्तजैनसंघना घर-घरमां अने घट-घट सुधी पहोंचाडवाना यत्किंचित् प्रयास |अंतर्गत प्रस्तुत पुस्तक, प्रकाशन थई रहेल छे.

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