Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ गिरनारनो महिमा न्यारो एनो गाता नावे आरो १, गिरनार गिरिवर पण शत्रुज्यगिरिनी माफक प्रायः शाश्वत छे. पांचमा आराना अंते ज्यारे शत्रुजयनी ऊंचाई घटीने सात हाथ थशे त्यारे गिरनारनी ऊंचाई सो धनुष्य (चारसो हाथ) रहेशे. रैवतगिरि (गिरनार) शजयगिरि पांचमु शिखर होवाथी ते पांचमु ज्ञान अर्थात् केवळज्ञान अपावनारुं छे. आ मनोहर एवो गिरनार समवसरणनी शोभाने धारण करे छे, कारणके मध्यमां चैत्यवृक्ष जेवं मुख्य शिखर अने गढ़ जेवा आजुबाजुमां अन्य नाना पर्वतो आवेला छे जाणे के चार दिशामां झरणां वहेतां होय तेवा चार द्वारोरूप चार पर्वतो शोभी रह्या छे. • गिरनार उपर अनंता तीर्थंकरो आवेला छे अने महासिद्धि अर्थात् मोक्षपदने पामेला छे तथा अनंता तीर्थंकरना दीक्षा-केवळज्ञान अने मोक्षकल्याणक थया छे तेमज अनेक मुनिओ पण मोक्षपदने पाम्या छे अने भविष्यमां पामशे. गइ चोवीसीमां थयेला १, श्री नमीश्वर २, श्री अनिल ३, श्री यशोधर ४, श्री कृतार्थ ५, श्री जिनेश्वर ६, श्री शुद्धमति ७, श्री शिवंकर अने ८, श्री स्पंदन नामना आठ तीर्थंकर भगवंतोना दीक्षा-केवळज्ञान अने मोक्षकल्याणक अने अन्य बे तीर्थंकर भगवंतना मात्र मोक्षकल्याणक गिरनार गिरिवर उपर थया हता. वर्तमान चोवीसीना बावीसमां तीर्थंकर बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथ भगवानना दीक्षा-केवळज्ञान कल्याणक अने मोक्षकल्याणक गिरनार उपर थया छे तेमां दीक्षा अने केवळज्ञान कल्याणक सहसावन (सहस्राम्रवन) मां तथा मोक्षकल्याणक पांचमी टुंक उपर थयेल छे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 334