Book Title: Gandharwad Kavyam
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandiram

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Page 9
________________ 5 प्राश्चर्यकारी घटना विश्ववंद्य विश्वविभु श्रमरण भगवान श्री महावीर परमात्मा के मुख्य प्रतिषद् शिष्यरत्न और प्रथम गणधर श्रीगौतम स्वामीजी महाराजा का अद्भुत जीवन - कवन एक आश्चर्यकारी घटना रूप ही है । पूज्य महाप्रागम श्रीकल्पसूत्र की सुबोधिका टीका में अनंतलब्धिनिधान श्रुतकेवली श्री गौतम स्वामी जी के सम्बन्ध में वर्णन करते हुए कवि कहता है कि - श्री गौतम स्वामीजी का सब कुछ, सारा ही जीवन विचित्र है । "अहङ्कारोऽपि बोधाय, रागोऽपि गुरुभक्तये । विषादः केवलायाऽभूत्, चित्रं श्रीगौतमप्रभोः । 'अहङ्कारोऽपि बोधाय - श्रहंकार भी बोध के लिए, 'रागोऽपि गुरुभक्तये' - राग भी गुरुभक्ति के लिए, 'विषाद: केवलायाऽभूत् ' - विषाद यानी खेद भी केवलज्ञान का कारण बना । इसलिये 'चित्रं श्रीगौतमप्रभोः' श्री गौतम प्रभु का अर्थात् श्री गौतमस्वामी गणधर भगवन्त का जीवन - कवन चित्रमय - श्राश्चर्यकारी घटना रूप बना । ऐसे अनन्तलब्धिनिधान श्रुतकेवली श्रीगौतम स्वामीजी गणधर भगवन्त के २५०० वें निर्वाणोत्सव के उपलक्ष में उनको हमारा कोटि-कोटिशः वन्दन हो । - विजय सुशीलसूरि

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