Book Title: Epigraphia Indica Vol 14
Author(s): Sten Konow, F W Thomas
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 421
________________ 358 EPIGRAPHIA INDICA. TEXT. First Side. श्रीमहादेव 1. स्वं (स्वस्ति श्रीविजयाभ्युदय मा[ली] वाहनशकवर्ष मुलु १५०८ 2 अगुनेटि प्रभवा [न] [मसंव[स] रं वशाख शुद्द १५ स्थिरवारं 3 चंद्रा परागपुण्यकालमदु [ख]स्ति श्री [म] दखिलभ'मंडलात (लं) 4 कारत्रयस्त्रिंशत्कोटिदेवतारावि (धि)तश्रीकामाची देवीसनाथ 5 श्रीमदेकनाथश्रा 'महादेवा (व स [न] अथवा "हस्तगिरिनाथसाचा 6 त्कारपरमाधिष्टा" नसत्यव्रत नामांकितकांचीदिव्यचेत्रे भा 7 रदाप (पो)ठसंस्थितानाम तुलितसुधारसमाधुर्य कमलासन 8 कामिनीधमिश संज्ञमलि" का मालिकानिष्यंदमक 9 बंद [m] रोसोववि (स्ति) कवा निगुंभ: फ) विजृंभनानंदतुं दलित10 मनीषी (षि) मंडलानामनवरताडे (दै) तविद्याविनोदरसिकानां 11 निरंतरालंजती तशांतिदांतिभून्मां सकलभुवनच [क्र]" प्रतिष्ठा12 पकविख्यातयशोलंकृतानां निखि [ल* ] पाखंडषंडकंटकोहाटमेन 18 विशदीकतवेदवेदांतमार्गप्रतिष्ठापमा [ना' ] चार्याणां श्रीमत्परमहं14 सपरिव्राजकाचा [र्य * ] श्रीमच्छंकरभगवत्पादाचार्याणामधि [ष्ठा]15 मे सिंहासनाभिषिक्त श्रौमचन्द्रशेखरेंद्र सरस्वती संयमां- " 1.6 द्राणामतेवासिवयं श्रीमन्महादेवेंद्रसरखतुलचा (वा) र भा-" Second Side. 17 अश्वलायनसूवुलेन वा (का) मकायनविश्वामित्र गा "बुलेन 18 होयासानकोडियार" रामाशास्तुर्थवारिकि गोलकोड अक्ष 19 ब्रमादं (द) [च] वाद विश्चिन तम सुसा ग्रामंलो चंगलपट्टब्यागी20 भीमल (लो) अजूरु दमोर मेलुपाकलोनु अग्रहारं चसि" पनमा21 नसा स्वयं” जरिकि उत्तरं चपटक दचिणपु[*] पार्श्व डिमिका- [ल] 1 From the original plate and from ink-impressions. • Not very clearly inscribed Bond प्रभवनाम संवत्सरं • Rend को. • Rend का. Read 81. 18 [चर्चा] instead of च would give better sense. 15 Omit the letter T. 30 Bond हैविमच पाडियाद • Read मंदु. • Read श्री. 13 Bead fr. Ed.] 14 Rend "सूत्र'. 10 Bead it. Read बुलु. • Bend मात. [Vol. XIV. Road भू. 10 Road श्रीडसबिरि 14 Read म. 17 Read T. 20 Read मोखाडा'. 21 Read fe. 25 [The unexplained words चहारं पसि पनमानसा खयं appear to me to stand for अग्रहारं चेसिन प्रमाचार्य ie. "The tax-free Brahman's share declared as such ia ".-H. K. 8.]

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