Book Title: Epigraphia Indica Vol 14
Author(s): Sten Konow, F W Thomas
Publisher: Archaeological Survey of India
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EPIGRAPHIA INDICA.
(VOL. XIV.
। राज्य विततचतुरदधिसलिलतरामेखलावनितलाम8 लयमा: पनेकसमरसंघाविजयजनितजयशब्दप्रतापीपन7 तसमस्तसामन्तचूडामणिप्रभामारीपुलरश्चितचरणी माता8 पिढपादानुध्यात: श्रीमहानासवसूनुः श्रीमान्महाराजेन्द्रव.
Second Plate ; First side. 9र्मा कूरकराष्ट्रे मुकुकुरच्छेदकर्षकान्कुटुम्बिनममाञापयति [*] वि10 दिसमस्त वो यथायं च्छेदसबंकरभरै परिहत्याचन्दाक प्रतिष्ठ' क11 वा मातापिचोरामनच पुण्याभिवृदये कार्तिकपौर्णमास्यां सलिलपूछ"]. 12 कं कौशिकसगोचाय [
बचनप्रचारिणे तिरिलिजवास्त. 13 व्याय वेदवेदाापारमाय भवदत्तशक्षणे सत्तस्तदेवं 14 विदित्वा यथोचि[तभोगभागमुपनयन्त[:] सुखं प्रतिवसति [*] सीमा16 लिमानि चाच प्रदक्षिणक्रमेण बोर व्यानि [I] पूर्वेण वल्लीकादारभ्य पुरुष18 छाययार्जुनपस्ततो वस्तीकस्ततो वखोकसहितकरचय: दक्षि
Second Plate ; Second side. 17 न करक्षाप्रभृति पुरुषच्चायया पाषाणायः [*] पश्चिमे18 न पाषाणामति पुर*]पच्छायया पाषाण एव ततोर्जुनहक्षस्तत19 हाणाय: [1] उत्तरेण पाषाणाप्रभृति पुरुषच्छायया तिमिरव. 20 चस्ततताषाणस्ततापाटसन्धिक्रमण पाषाणस्तत21 बाषाण एव ततो वसोक इति [*] भविषतष राधा22 पयति [1] धर्मक्रमविक्रमाणामन्यतमयोगादवाप्य मही. 23 मु(म)नुपासबिरयन्दानधोनुपालनौयो(यः) [1] व्यासगीताचाच प्रो. 24 काः [*] बहुभिसधा दत्ता बहुभिचानुपालिता [*] यस्य यस्य
Third Plate. 25 यदा भूमिस्तस्य तस्य तदा फलम् [१] खदत्तां परदत्ता वा यबादक्ष ५6 युधिष्ठिर [*] महीमहीमता श्रेष्ठ दानाच्छ्यौनुपालनम् [॥२"] षष्टि-1 27 वर्षसामाणि खनै तिष्ठति भूमिदः [1] पाता चानुमन्ता च तान्येव 28 नरकी वसेदिति [१] पात्रा महामात्तरशिवशर्मा [.] प्र[*] ईमान29 विजयरावसंवारा:] .. .२ पुष दि.१.' लिखितमिदं शास80 में स्ववचनद्रस्ना सर्वाधिनतेन शाम्बपुरोपाख्याये31 मोबीचमादित्वमोगिकतनयन सपिकचन्द्रवति ।।
1 Read the ..! [The symbol following for representa 20 and not 80. After this comes 1 panetration represented by a spiral,

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