Book Title: Ek Prasiddh Vakta Ki Taskar Vrutti Ka Namuna
Author(s): Gunsundarsuri
Publisher: 

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Page 9
________________ तत्थ पुरीइ एगो जिणदेवो नाम सावगो तस्स पुत्तोऽहं जिणदासो कहेमि चुजं पुणो सुणसु // 490 // सिरि कणयकेउरन्नो पिया पिया महेणित्थ कारियं अत्थि गिरि सिहर सिरो रयणं / भवणं सिरि रिसहनाहस्स // 491 // संत मणोरहतुंगं उत्तम नर, चारिय निम्मल विसालं / दायार सुजस धवलं, रविमंडल दलिय तम पडलं // 492 // तम्मज रिसहसर पडिमा, कणय मणि निम्मिश्रा अत्थि / तिहुअण जण मण जणियऽऽणंद तव चंदलेहव्व / / 493 // तंसो खेयर राया, निचं अच्चेइ भत्ती संजुत्तो / लोओऽविसप्पमोओ, नमइ पूएइ माएई // 494 // सा नरवरस्स धूया विसेसओ, तत्थ भत्ती संजुत्तो। अठ्ठ पयारं पूर्व करेइ निच्चं ति संझासु // 495 // .. संस्कृत-तन्मध्ये तस्यगिरेमध्यभागे कृतो निवेशो-रचनायस्याः सा एवं विधा रत्नसञ्चया नाम पुरी-नगरी, अस्ति, तां पुरी श्रीकनककेतुरिति नाम्ना विद्याधराणां राजा पालयति // 48 // तस्स राक्षः कनकमाला नाम प्रियाऽस्ति तस्याः कुक्षौ सम्भूत्ताउत्पन्नाः कनकप्रभ 1 कनकशेखर 2 कनकध्वज 3 कनकरूचि 4 नामनाश्चत्वारः पुत्राः सन्ति // 488 // च पुनस्तेषां चतुर्णा पुत्राणां उपरि नाम्ना मदनमञ्जुषा एका पुत्री अस्ति, सा च कीशी ? सकलकलासु पारीणा-पारं प्राप्तवती पुनः अतिक्रान्तं रतेः कामस्त्रिया रूपं सौन्दर्य यया सा तथा मुणितं ज्ञातं तत्त्व यया सा // 486 // तस्यां च पुर्या एको जिनदेवो नाम श्रावकोऽस्ति तस्य

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