Book Title: Ek Futkal Patra Antargat Shabdayadi Author(s): Kantilal B Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 9
________________ अनुसन्धान 46 घडउ = घडो [घटः] उघडहू = ? [उग्घटु] (?) कहुआलङ = कोलाहल [कोलाहलः] अरणइ = अरति, असुख, पीडा, शोक, चिन्ता {अरतिः ] मोलीउं = साफो, फेंटो (सं. 'मौलि' परथी) [मूईवेष्टनम्] परिवारिउं = पार पडाएलुं ? आटोपायेलुं ? [प्रपारितम्] पालटउ = पलटो, परिवर्तन [परिवर्त] पालटिङ = पलटायेखें, परिवर्तन पामेलु [परिवर्तित:] विहरउ = वहेरो, आंतरो, तफावत (सं. व्यवहार) [व्यतिकरः] बापडो = बापडो, बिचारो, रांक (दे० बप्प) विराक:] (टि. 'म.गु.श.'मां आ शब्द 'प्रा.गु.का.' माथी ‘बप्पुडउ, बापुडउ' रूपे नोंधायेलो छे.) लगाडिउ = लगाडायेलुं ? [लागितः] पालउ = पगे चालतो, पाळो [पादवारः] सोहिलं = सुखभर्यु, सुखदायक (सं. 'सुख' परथी) [सुखावहम्] दोहिल = दुःख आपनालं, दोह्यलुं, कपरूं [दुःखावहम्] (सं. दुःख + इल्ल) रुलियामणो = रळियामणो, सुन्दर (दे. रली-परथी) [रतिजनक:] उदेगामणउं = उद्वेग पेदा करनारं [उद्वेगजनकम्] राउताई = राजपूतपणुं, वीरत्व (सं. राजपुत्र-परथी) / [राजपुत्रता] असउणिउ = अपशुकनियाळ, अपशुकन पामेलो [अपशकुनितः] अंबोडउ = अंबोडो [धम्मिल] वीणि = वेणी, चोटलो [वेणी] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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