Book Title: Ek Futkal Patra Antargat Shabdayadi Author(s): Kantilal B Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ डिसेम्बर २००८ ऊगडउ = ? [उहूदः] बयकारु = गानार (सं. वाग्+गेयकार, प्रा. वइकार) [गोयकारु] चिणोठी = चणोठी (दे. चिणोट्ठि) [चित्रपृष्टा] अडक = ? [अपराक्षा] (?) (टि. 'म.गु.श.'मां 'अडकदडक' शब्द मळे छे, जेनो अर्थ 'दडी जवाय- गबडी पडाय' थाय छे.) ढाकणउं = ढांकण ? ढांकतुं ते ? [छागनकम्] सूणहरउं = शयनगृह [शयनगृहम्] पाथरपुं = पाथरवा माटे जाईं कपडूं, जाजम [प्रसूरणम्] उढणउं = ओढणुं, स्त्रीने ओढवानुं वस्त्र (दे. ओड्ढण) [आच्छादनम्] नणंद = वरनी बहेन (सं. ननान्दृ > प्रा. णणंदा) [ननन्दा] नणदोई = नणंदनो पति [ननान्दृपतिः] जमाई = पुत्रीनो पति [जामाता] नाणिद्रउ = नणंदनो पुत्र (सं. नानान्द्रः, रा.नांणदौ) [ननान्दृसुतः] भत्रीजो = भाईनो पुत्र (सं. भ्रातृव्य > प्रा. भत्तिज्ज) [भ्रातृजः] परीयटु = धोबी (दे. परिअट्ट) [निर्नेजकः] छीपउ = कपडां रंगनारो, छीपो (दे. छिपय) [रजक:] कउतिगीउ = कौतुक-नवाई पमाडनार [कौतुकिकः] फिरकः = फिरकी [स्फुरितचक्रिका] पाटुव्याली = पादप्रहारिणी, पाटु मारती [पादप्रहारवती] (टि. 'म. गु. श.'मां 'उक्तिर०'नो आ शब्द 'पाटूआली' रूपे नोंधायेलो छे.) परमूणउ = परम दिवस- (सं. परमदिवसीय) [परमदिव] परोकउं = पाछला वर्षे ? [प्राक्वर्षायाम्] (टि. आ अर्थमां तळपदो शब्द 'पोर' वपराशमां छे.) सरलउ = दीर्घ, प्रलम्ब (सं. सरल+क) [दीर्घः] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 6 7 8 9