Book Title: Drusthant Katha Author(s): Shrimad Rajchandra, Hansraj Jain Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram View full book textPage 34
________________ कुंडरिक पुंडरिक कुंडरिक मरकर नरकमें कुंडरिक दीक्षाको 6 छोड बगीचे में न उल्टी करता हुआ कुंडरिक राजा मुनिको मुकुट दे रहे है पुंडरिक मुनि वेष लेकर गुरु के पास जा रहे है पुंडरिक देवलोकमें ३१Page Navigation
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