Book Title: Dodhak Vrutti
Author(s): Vajrasenvijay
Publisher: Jain Dharmik Tattvagyan Pathshala
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________________ संक्षिप्तप्राकृतशब्दरूपमाला 13 (5) एअ, (एतद् ) शब्दस्य पुनिङ्गरूपाणि / एकवचन. बहुवचन.. प्रथमा- एस, एसो, [एसे], एए. इणं, इणमो. द्वितीया- एअं. ___एए, एआ. तृतीया- एएण, एएणं, एइमा. एएहि, एएहि, एएहिं. च. ष.- एअस्स, से. 'एएसिं, एआण, एआणं, सिं. पंचमी- एत्तो, एत्ताहे, (एअत्तो), एअत्तो, एआओ, एआउ, एआओ, एआउ, एआहि, एआहि, एआहिन्तो, एआसुन्तो, एआहिन्तो, एआ. ऍएहि, एएहिन्तो, एएसुन्तो. सप्तमी- अयम्मि, ईअम्मि, एअस्सि, एएसु, एएसुं. एअम्मि, एत्थ, [एअंसि]. एआ, एई (एतद्) शब्दस्य स्त्रीलिंगरूपाणि / ___एकवचन. बहुवचन. प्रथमा- एस, एसा, इणं, इषमो, एआओ, एमाउ, एमा, एई, एईआ.. एईआ, एईओ, एईउ, एई. द्वितीया- एअं, एई, तृतीया- एआअ, एमआइ, एमाए, एआहिं, एवाहि, एआहिं. एईअ, एईमा, एईइ,एईए. एईहि, एईहिं, एईहिं. च.- 1 एआम, एभाइ, एआए, से, एआण-णं, सिं, प.- ] एइअ, एईआ, एईइ. एएसि, एमआसिं, एईण-पं एईए.

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