Book Title: Digambar Jain Sadhu Parichaya
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Dharmshrut Granthmala

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Page 12
________________ जैन कुलभूषण श्री लाला महावीरप्रसादजी ठेकेदार -: संक्षिप्त जीवन परिचय :- . . . hiSANSAR " . a .. .. nt: देहली समाज के गणमान्य लब्ध-प्रतिष्ठित जैन कुलभूषण स्व० लाला महावीरप्रसादजी ठेकेदार ऐसे ही पुण्यात्मा और धार्मिक नर रत्न थे । किसप्रकार उन्होंने अपने पुरुषार्थ और बुद्धि चातुर्य से धर्मयश और सुख की प्राप्ति की । नवयुवकों को उनका जीवन अनुकरणीय है। उनका जन्म बैसाख बदी १४ विक्रम सम्वत् १९३५ में हुआ। माता पिता धार्मिकवृत्ति नीतिवान शीलवान हैं तो बच्चे उसे देखकर वैसे ही बन जाते हैं । बाल्यकाल से मनुष्य को अपने जीवन के प्रारम्भ में धार्मिक शिक्षा, अच्छी संगति, शुभ संस्कार सदुपयोग-सदुपदेश का लाभ मिला तो उसका मधुर फल आगामी जीवन में चखने को मिलेगा। बचपन में आपको धार्मिक शिक्षा मिली गुरुओं का उपदेश मिला फलस्वरूप जीवन एक आदर्श बन गया। पहले आपने म्यूनिस्पल कमेटी के टैक्स डिपार्टमेंट में बीस रुपये माहवार पर कार्य किया वहां डिपार्टमेंट में गबन हो जाने के कारण आपने सविस छोड़ दी और स्वतन्त्र रीति से ठेकेदारी का कार्य करना आरंभ कर दिया। ___ महावीर प्रसाद एण्ड संस के नाम से १९१२ में दुकान खोलकर शुष्क सीमेंट सतना लाईन लोहे व चीनी के पानी के नल टाईल मारवल सेनेटरी सामान का कार्य किया जिससे आपको काफी आर्थिक लाभ हुआ । भवन बनवाने और सड़क निर्माण में भी आपकी रुचि थी। . E .. " -

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