Book Title: Digambar Jain Sadhu Parichaya
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Dharmshrut Granthmala

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Page 24
________________ पृष्ठ सं० २८६ .. दयान २७२ २६२ २७४ २७५ [ १८ ] पृष्ठ सं० प्रा. कल्प श्री भुतसागरजी द्वारा दीक्षित क्षु० प्यारमतीजी शिष्य २६५ प्रा.क. सन्मतिसागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य २८७ मुनि नेमसागरजी २८८ मुनि समतासागरजी आयिका सरलमतीजी २६९ विमलसागरजी २८८ , शीतलमतीजी २७० " पदमसागरजी २८६ दयामतीजी २७१ " कुन्थसागरजी २८९ प्रायिका चन्द्रमतीजी २६० मुनि दयासागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य " शान्तिमतीजी २६१ , सुदर्शनसागरजी रयणसागरजी क्षु० सुपार्श्वसागरजी " ऋषभसागरजी २७४ , हेमसागरजी २६३ , समाधिसागरजी । , विजयसागरजी . २९३ समाधिसागरजी ॥ , चारित्रसागरजी २९४ , समाधिसागरजी II २७५ , मानसागरजी २९४ , निजानन्दसागरजी मुनि श्रेयांससागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य २९५ प, पार्श्वकीर्तिजी २७९ , धर्मेन्द्रसागरजी २९६ मृ० समतासागरजी आयिका सुगुणमतीजी २९६ , निरंजनसागरजी प्रा. श्री ज्ञानसागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य २६७ ,, उदयसागरजी प्रा. विद्यासागरजी २६८ प्रायिका सुप्रकाशमतीजी मुनि विवेकसागरजी २९६ , प्रज्ञामतोजी २८१ क्षु० स्वरूपानन्दजी , सुवैभवमतीजी २८२ मुनि सुपार्श्वसागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य ३०० निःसंगमतीजी ., विनयसागरजी ३०१ , भरतमतीजी " विजयसागरजी ३०१ ९० वैराग्यमतीजी क्षु० सुरत्नसागरजी ३०२ मुनि पुष्पदन्तसागरजी आ विद्यासागरजी द्वारा दीक्षित शिष्य " पदमसागरजी मुनि समयसागरजी ग्रायिका पार्श्वमतीजी , योगसागरजी सु. पदमसागरजी २५६ । 'नियमसागरजी ३०५ २७५ 0 0 . 0 . 0 २९६ २८२ २८३ २८३ २०४ २८५ २८५ ३०४

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