Book Title: Digambar Jain Granth Bhandar Kashi Ka Pratham Gucchak Author(s): Pannalal Choudhary Publisher: Pannalal Choudhary View full book textPage 7
________________ [A] 'कवार्तिकालङ्कार, अष्टसहली, तत्वार्थालङ्कार, देवागमाल कृति, आदि ग्रंथ हैं । तत्वार्थ सूत्र - इसके कर्ता आचार्य उमास्वामि विक्रम की प्रथम शताब्दी में हुए हैं । द्वात्रिंशतिका - यह अमितगतिसूरि की बनाई हुई है। जां विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी में हुए हैं । इनके बनाये हुए लुभा - षितरत्नसंदोह, धर्मपरीक्षा, अमितगति श्रावकाचार आदि ग्रंथ हैं । सर्वज्ञस्तवन - इसके कर्ता श्रीजयानन्दसूरि हैं । जो विक्रम की १५वीं शताब्दी में हुए हैं । ये श्वेताम्बर थे । पार्श्वनाथस्तोत्र – इसके कर्ता श्री पद्मप्रभदेव हैं इनके समय का हमें पता नहीं चला । यह परिचय निर्णयसागर प्रेस द्वारा प्रकाशित सनातन जैन ग्रंथमाला के प्रथमगुच्छक व माणिकचन्द दिगम्बर जैन ग्रंथमाला पर से प्रकाशित किया गया है । प्रकाशक पन्नालाल चौधरी ।Page Navigation
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