Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 12
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 38
________________ फिरोजपुर-में पं० नरसिंहवास के पधा-हुये तथा पुस्तकों की प्रमावना हुई। यहां 40 रनेसे व ऐ० पन्नालाल जीके होने से हुन धर्म से पोरवाडोंमें फूट थी जिसको तन मन धनसे प्रमावना हुई / पंसापती मंदिर में लिखित शास्त्र मिटानेवाले स्ठ गोपीकृष्ण जीको मानपत्र दिया। ही पढ़नेका यहां नियम हो गया है। गया / दान की वर्षा मी अच्छी हुई थी। कलकत्ते-में पर्व मानंद व्यतीत हुआ। वम्बइ-में यह पर्व धर्म प्रभावनाके साथ पं० झमन्लालजी, पं० माघरलाल जी शास्त्र व्यतीत हुआ था। हम भी अतिम दो दिन / पढ़ते थे। पं० श्रील ल व पं० रखनलालीके वरचई पहुंचे थे। दोनों मंदिरों नित्य दो कुछ अनुचित दर्ताव से पंचानमें कुछ अशांति दफे शस्त्रपमा होती थी। यहां हमरी मतीनी हुई थी। चंपाव ई (विधवा परी० लल्लुपई प्रेमानंददार) सोलापुर-में रावजीभाई, माणेकचंद अमो. ने 10 उपवास किये थे व अन्य दो बहिनोंने चंद आदि शस्त्र पढ़ते थे। यहां पगईने 10 6-6 उपस किये थे। चरागाईने पारणाके उपवास किये थे। दिन 900) आबू, 100) दश संस्था भोको धुलिया-में २०६पकी तकरार मिटर व 25) श्राविकाश्रम बम्बईको दान किया था। यह पर्व स नंद व्यतीत हुआ था परन्तु अंके चौदसको जुलून मी निकला था। विशेष दिन मालके लिये फिर ताशाही थी। खे! मारवाडी मंदिरमें करीब 200) मालिकका चंदा। इन्दौर-के समी तेरह मंदिरों में नित्य शास्त्र एक हिन्दी स्कूल खोलने के लिये हुआ है जो समा होती थी। पं. कस्तूरचन्द नीके उपदेशसे मंदिरमें ही खुलेगी जिसमें नित्य 6 घंटे हिन्दीके। खुश होकर सर सेट कम चंदजीने उनको एक साथ धर्मशिक्षा मी दी जायगी। मेनेजिंग कमेटी पुणे दर दिया। रात्रिको प्राय: सेठ जी खुद भी नियुक्त हुई है परंतु अभी कार्य चालू नहीं नित्य शास्त्र पढ़ते थे। हुआ है। मलकापुर- 50 मुमतिचन्द उरदेशकके नसीराबाद-में ब्र० चांदमल नीके पवारपधारनेसे विशेष आनंद रहा व 11) उपदेशक नेसे विशेष धर्मध्यानके साथ यह पर्व पतीत पंड़ में हुए थे। हुआ था। नवागाम-में 2 बाईयों ने दश 2 उपवास जयपुर-में पं० मनोहरला शास्त्री व पं. किये थे। यहां क्षुल्लक शांतिसागरजी के उपदेशसे शिवमुखराय जी शास्त्री पदो थे। व. आश्रमें पारशाला में देशी औषधालय खुला है। आ नकळ 10 ब्रह्म व रीव 6 अध्यापक हैं। खंडवा-में पं० बिहारीलाल, पं. कन्हैया- औरंगाबाद-में ब्र हीराकलनीके पधालालजी, पं७ दरबारीलाल जी, पं० कस्तूचंदनी दसे शास्त्र सम में व्याख्यानों का अच्छा आनंद आदिके अनेक व्याख्यान हुए। पाठशाला, रहा। तीन भाइयों ने प.ठशाला के विद्यार्थियों को औषधालय, कुमार सभा आदिके अधिाशन मी आहारदान दिपा थ / "जैनविजय, प्रिन्टिग प्रेस खपाटिया चकला,-सुरतमें मूलचंद किसनदास कापड़ियाने मुद्रित किया। और “दिगम्बर जैन" आफिस, चंदावाड़ी-सुरतसे उन्होंने ही प्रकट किया।

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