Book Title: Dhaturatnakar Part 5 Author(s): Lavanyasuri Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi View full book textPage 7
________________ तपोगच्छाधिपति-सर्वतन्त्रस्वतन्त्र-शासनसम्राट्-सूरिचक्रचक्रवर्ति–जगद्गुरु-भट्टारकाचार्यवर्य ___ श्रीमद्विजयने मिसूरीश्वरपट्टालङ्कारव्याकरणवाचस्पति-शास्त्र विशारद-कविरत्न-निरुपमव्याख्यानसुधावर्षि-विबुधशिरोमणि-धातुरत्नाकर तिलकमञ्जरीटीकाद्यनेकग्रन्थप्रणेता सादडा. (मारवाड ) वद २. अमदावाद ॥ प्रवर्तकपद-वि. सं. १९८७ कात्तिक (प्रायः) बोटाद (काठायावाड) ॥ सुद ३ सादडी, (मारवाड)॥ आचार्यपद-वि. सं. १९९२ वैशाख वद १२, महुवा (काठीयावाड)॥ सुद ८, भावनगर ॥ गणिपद-वि. सं. १९९० मागशर पन्यासपद-वि. सं. १९९० मागशर उपाध्याय पद-वि. सं. १९९१ जेठ सद ४, अमदावाद ।। सुद १०, भावनगर ॥ OG भट्टारकाचार्यश्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वरः॥ आयव्याकरणागमेषु ललिते, काव्ये तथा छन्दसि । साहित्यप्रभृतौ प्रबन्धगगने यद्धीकराः विस्तृताः॥ युत्पन्नमतिः प्रसादमदनं, व्याख्यानवाचस्पतिः। सोऽयं दक्षप्रमोददो विजयते. लावण्यसूरीश्वरः॥१॥" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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