Book Title: Dhaturatnakar Part 5
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

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Page 6
________________ सर्वतन्त्रस्वतन्त्र-शासनसम्राट्-सूरिचक्रचक्रवर्ति जगहुरुतपागच्छाधिपति-भट्टारक जन्म सं. १९२९ कार्तिक शु. १ मधुमती ( महवा) : दीक्षा सं. १९४५ ज्येष्ठ शु. ७ भावनगर भव्याब्ध्यामदवृद्विचन्द्रसदृशं, श्रीनमिसूरीश्वरं । सम्यग्दर्शनबोधदानसदनं, चारित्रभानूदयम् ॥ जैनेन्द्रागमतत्त्वनन्दनघनं, लावण्ययोगालयं ।। भो दक्षास्त्रिविधं हितं प्रणमत, प्रज्ञाप्रमोदक्षमम् ।।१।। आचार्य श्रीविजयनमिसूरीश्वरः सूरिपद सं. १९६४ ज्येष्ट शु. ५ भावनगर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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