Book Title: Dhaturatnakar Part 2 Author(s): Lavanyasuri Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi View full book textPage 6
________________ अर्जुन सिंह ARJUN SINGH मानव संसाधन विकास मंत्री भारत नई दिल्ली ११० ००१ MINISTRY OF HUMAN RESOURECE DEVELOPMENT INDIA NEW DELHI-110001 सत्यमेव सस सन्देश संस्कृत साहित्य में अनेक ग्रन्थरत्न विद्यमान हैं जिनका पठन-पाठन एवं अनुसन्धान इस राष्ट्र में सहस्रों वर्षों से चला आ रहा है। वेद, शास्त्र, स्मृति एवं पुराण जैसे विशाल ग्रन्थ संस्कृत वाङ्मय का अंग हैं। यह वाङ्मय समय-समय पर प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा परिश्रम एवं आर्थिक व्यय से अंशतः प्रकाशित भी हुआ है। किन्तु समय के साथ इन ग्रन्थों की मुद्रित पुस्तकें छात्रों, विद्वानों एवं सामान्यजनों को दुर्लभ होने लगी हैं। अत: इन दुर्लभ सुसम्पादित ग्रन्थों का पुनर्मुद्रण कर न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध कराने की योजना मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं उसके अंगभूत राष्ट्रिय-संस्कृत-संस्थान के द्वारा कार्यान्वित की गयी है। मैं आशा करता हूँ कि इस दूरगामी उपक्रम से संस्कृत के विद्वान्, छात्र एवं संस्कृतप्रेमी सामन्यजन लाभान्वित होंगे तथा संस्कृत के ज्ञान, वैभव का विस्तार होगा। साथ ही मैं यह भी कामना करता हूँ कि राष्ट्रिय-संस्कृत-संस्थान इस योजना में अन्य महत्वपूर्ण ग्रन्थों को भी प्रकाशित कर संस्कृत की श्रीवृद्धि करेगा। (अर्जुन सिंह) www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use OnlyPage Navigation
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