Book Title: Dharmsagar Granth Sangraha Author(s): Labhsagar Gani Publisher: Mithabhai Kalyanchand Pedhi View full book textPage 1
________________ आगमोद्धारक ग्रन्थमालाया अष्टादशं रत्नम् । ॐ नमो जिनाय । आगमोद्धारक - आचार्य प्रवर श्री आनन्दसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः । महोपाध्याय श्रीमद्धर्मसागरगणिवरविरचितश्रीमहावीर विज्ञप्तिद्वात्रिंशिका षोडशश्लोकी-महावीरजिन - स्तोत्ररूपः धर्मसागरग्रन्थसंग्रहः । 卐 संशोधक : प० पू० गच्छाधिपति आचार्य श्रीमन्माणिक्यसागरसूरीश्वर शिष्यः मुनिलाभसागरः । द्रव्यसहायक — कलकत्ता (गुजराती) श्वेताम्बरमूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ ।Page Navigation
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