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नवम अध्याय
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सं पंडितं ग्रन्थप्रमाणमष्टचत्वारिंशच्छतानि । अंकतः ४८००।
सम्यग्दृष्टि धर्म और शुक्लध्यानके द्वारा शुभाशुभ कर्मोंको नष्ट करके दो-तीन या सात-आठ भवोंमें मोक्ष स्थानको गमन करते हैं ॥१०॥ इस प्रकार आशाधर रचित धर्मामृतके अन्तर्गत अनगारधर्मकी भव्यकुमुदचन्द्रिका टीका तथा ज्ञानदीपिका पंजिकाको अनुसारिणी हिन्दी टीकामें नित्यनैमित्तिक
क्रिया विधान नामक नवम अध्याय समाप्त हुआ।
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