Book Title: Dharm vidhi Prakaranam Author(s): Udaysinhsuri, Shreeprabhsuri Publisher: Hansvijayji Library View full book textPage 4
________________ ० 4 धर्मविधिप्रकरण अनुक्रमणिका, गाथा. विषय. पृष्ठ, | गाथा विषय पृष्ठ. १.-२ मंगल. धर्मविधिनी उत्पत्ति. ३७ शुद्धशील(८) सुभद्रकथा (१३४) ७३-७८ ३ धर्मविधिना आठद्वार ३८:-शुद्ध तप (९) विष्णुकुमार कथा (२३८) ७८-८६ (१) धर्मपरीक्षा (१) प्रदेशीराजा (२५) ९ ३९--शुद्धभाव (१०) इलापुत्र (१०३) ८६-८९ - । (२) धर्मलाभ कर्मना क्षयोशमथो थाय छे. ९-२३ ४० साधुगार्हस्थ्य द्विविधधर्म. । (२) उदायन कथा- (४००) ४१ धर्मनु मूल--सम्यक्त्व है १५-१७ (३) धर्मना गुण.कामदेव श्रावक (१७७) २३-२९ ४२ सम्यक्त्वना दशभेद ९०-९१ १८-२१ (४) धर्मना दोष (४) नन्दमणिकार | ४३ सम्यकत्वना लाभे यतिधर्म अंगीकार करवो ९१-.१०० शेठ कथा. (१९७) २९-१५ (११) स्थूलिभद्रमुनि कथा (२७५) १०० ० (५) सद्धर्मदायक (५) संप्रति ४४ गृहस्थधर्म. राजा कथा (३९०) ३६.५० ४५-४६ बारव्रत १०० ३१-३३ (६)धर्मदेवानेयोग्य (६)वंकचूल(२८७)५०-६० ४७ गृहस्थधर्मनुं फल (स्वर्गसुख) .१०१-१०६ ३४-४७ (७) धर्मभेद. . (१२) सुरदत्तश्राद्धकथा (१७२) ३४--३६ शुद्धदान (७) मूलदेवकथा (३०२) ६०-७३ - ४८-५० (८)सद्धर्मफल(१३)जंबुस्वामी कथा (१४५०) १०६ SECRESSURUCHPage Navigation
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