Book Title: Dharm Sadhna me Chetna kendro ka Mahattva Author(s): Shreechand Surana Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf View full book textPage 3
________________ पंचम खण्ड / १४६ प्रगाढ सम्बन्ध बना कि साधना एक दम तेजस्वी बन जायेगी। शरीर में ऐसे चैतन्य-केन्द्र अनेक हैं, किन्तु सामान्यतया इनकी संख्या ७ अथवा ९ मानी गई है। शरीर : शक्ति का तिलिस्म अर्चनार्चन हमारा यह शरीर एक बहुत बड़ा तिलिस्म है। इसमें ऐसे-ऐसे रहस्य भरे पड़े हैं कि उसकी सूक्ष्म-सी जानकारी भी हमें चकित कर देती है। शरीरशास्त्र की दृष्टि से हमारे शरीर में ६ नील (६,००,००,००,००,०००) कोशिकाएँ हैं। यदि इनको लम्बाई में फैला दिया जाय तो संपूर्ण धरती को ७ बार लपेट लेगी। इसी प्रकार मानव मस्तिष्क में भी असंख्य ज्ञान और कर्म तंतु हैं। उनकी सहायता से वह सदैव गतिशील रहता है और शरीर की सुव्यवस्था करता है तथा अनुशासन बनाए रखता है। ऊर्जा की दृष्टि से देखा जाय तो शरीर में निहित ऊर्जा का अनुमान लगाना भी असंभवप्राय है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने बताया है कि एक पुद्गल परमाणु से ३,४५,९६० कैलोरी (ऊर्जा) शक्ति का उत्पादन किया जा सकता है। यद्यपि आइंस्टीन का यह अनुमान अन्तिम नहीं है। फिर भी यदि इसे सही मान लिया . जाय तो कल्पना करिए, अनन्त पूदगल परमाणों से निर्मित हमारे शरीर में कितनी ऊर्जा निहित है। किन्तु यह ऊर्जा हमारे जानने में नहीं आती, हम इसका उपयोग भी नहीं कर पाते, बहुत ही छोटे अंश का उपयोग करते हैं। ___ इस सूक्ष्म अंश का भी संचार जब शरीर स्थित चेतना केन्द्रों से प्राणधारा द्वारा किया जाता है तो साधना की ज्योति चमकने लगती है, साधक तेजस्वी बन जाता है। इसी दृष्टि से वेदों में मानव-शरीर को ज्योतिषां-ज्योतिः कहा गया है। मर्मस्थान और चेतनाकेन्द्र आइये, अब हम देखें कि शरीर में वे स्थान कौन-से हैं जहाँ से ज्योति प्रगट हो सकती है, होती है। वे स्थान हैं-(१) मर्मस्थान प्रौर (२) चेतना-केन्द्र । इनमें से मर्मस्थानों की जानकारी तो अधिकांश लोगों को है। इनके प्राधार पर चीन में एक्यूपंचर प्रणाली विकसित की गई है। जो शूल (aches), दर्द (Pain) आदि में बहुत उपयोगी है और कई असाध्य रोगों का भी उपचार किया जाता है। इस पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि टेबलेट, इंजेक्शन, कैप्सूल आदि लेने का न कोई झंझट और न आपरेशन का भय । सारा इलाज कुछ सुइयों (needles) के द्वारा किया जाता है । औषधोपचार और रोग-शमन की दृष्टि से शरीर में ७०० मर्मस्थानों का पता लगाया गया है। यह एक प्रकार के स्विच बोर्ड माने जा सकते हैं। जिन्हें दबाने से विद्यत तरंगें प्रवाहित हो उठती हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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