Book Title: Dharan Vihar Chaturmukh Stava
Author(s): Vinaysagar
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 7
________________ ६४ अनुसन्धान ४५ सासता ए जिणवर च्यारि जाणे विमलाचल सहिय फेडइ ए रायण रूख दुख सवे पासई रहिय सोहइ ए सिरिसम्मेतसिहर अट्ठावइ गिरिवरू ए अभिनवां ए बहुतरी बिम्ब बावन नन्दीसर वरू ए ॥१०॥ एतला ए सवि अवतार देवछन्द इमि भाविया ए बीजा ए जे अवतार मूल गम्भारइ ठाविया ए अनेरां ए जे छई बिम्ब भावइं भगतिइं ते थुणीय च्याल्या ए बाहिरि हेव जिणवर सवि जे ती भणीय ॥११॥ हरखिया बीजि भूमि पावड़िया रे तिहिं चडई ए पूजिवा ए आवई रंगि इगतीस अंगुल वडवड़इ ए चिहुँ दिसिई ए तिहिं अवधारि बइठा आदिल विविह परई उससई ए भवियण काय देखीय मूरति भगति भरई ॥१२॥ त्रीजी ए भूमि विचार इगवीस अंगुल आदिजिण तिणिपरई ए मन उह्लासि पूजु पणमुं भवियजण बारइ ए मूलनायक मम्माणी पाणी तणा ए अवतरिया ए जाणे बार दिनकर महियलि दीपतां ए ॥१३।। विदिसई ए सिखरसिंगार बार-बार जिण जूजूया ए सीलमई ए चंपकमाल सासय पूजा पूजिया ए उंचउ ए गज छत्रीस अनुपम शिखर त्रिभूमिवर जोयतां ए सोभसंभार भवियण मण उल्हासकर ॥१४॥ राजतु ए सोवंनवंन इग्यारइ गज उंचपणि झलकतु ए उंचउ दंड कलस पुरिस परिमाण पुण घमघमई ए घूघरमाल लंब पताका लहलहई ए नाचती ए जाणे रंगि संघपति कीरति गहगई ए ॥१५।। ॥ वस्तु ॥ चारु चउमुख चारु चउमुख रिसहजिणनाह संघपति धरणिंद करेविअ, सुगुरु पासि पइइट्ठ सारिअ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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