Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 04 Author(s): Shravak Hiralal Hansraj Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 9
________________ धाम्म- किंतु / कामे वामे करोमि किं // 1 // ततः क्लिष्टपरिणामं / वीदय तं विममर्श सा // अस्य बोः | साथ धौषधासाध्यो / ध्रुवं काममहामयः // 7 // प्रत्युत विकारकारण-मुपदेशो विषयकलुषिते मनसि // अश्मनि हुतवहदीप्ते / धूमोझाराय जलसेकः // 3 // उपस्थितोऽस्ति तव्याघदुस्तटीन्याय 560 | एष मे // कथमेष परिप्सय्यः / कथं पाल्यः स्वनिश्चयः // 4 // लेखः पाणितले नृषा / अषा चा. भरणं हृदः ॥शीले सर्वांगञ्षायां / याति तान्यामलं मम / / 75 // इति निश्चित्य सावादी-घदू घडं हुँ जाणुं बुं, परंतु कामदेव विपरीत थवाथी हुँ शुं करूं? // 1 // पजी तेने दृष्ट अभिप्राय वाळो जोश्ने तेणीए विचार्यु के थानो कामदेवरूपी महारोग खरेखर प्रतिबोधरूपी औषधयी म. टी शके तेम नथी. // 2 // विषयोथी मलीन मनवाळाने थापेलो जपदेश नलटो विकार कर नारो थाय , केमके अमिथी तपेला पत्थरपर जल रेडवाथी उलटो तेमांथी धूमामो पेदा थाय बे. // 3 // माटे या समये तो वाघ अने अगाध नदीसरखो न्याय मारेमाटे प्रावी पड्यो , था ब्राह्मणने मारे शीरीते शांत पाडवो? तथा मारुं व्रत पण मारे शीरीते पालवू? // 7 // प. | त्र तो हस्ततलनुं ऋषण , अने हार हृदयनुं याषण ने, परंतु सर्व अंगर्नु आजूषणरूप मारु in Gun AaradhakrusPage Navigation
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