Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 6
________________ धम्मिलनीयाः परे नृपाः // 21 // तस्यामोघरयः दात्र-सारः सारथ्यमाप्तवान् // हरिणेवार्जुनो येन / / ही सांयुगीनो नृपोऽजनि // 12 // वधूर्विधूतदोषा नृत् / तस्य नाम्ना यशोमती // सा गृहालंकृतिस्त स्याः / पुनः शीलमलंकृतिः / / 23 // तयोरगलदत्ताख्यः / समये तनयोऽजनि // पिता तस्मिन् 353 शिशावेव / जगाम यमसद्मनि // 24 // शोकेन हृदसंमाता / मातास्य व्यलपत्तरां // किमेतद् इ. | ढघातित्वं / हा धातः कातरे जने // 25 // स्वयं संयोज्य मिथुनं / स्वयमेव विभिंदतः // पुराण| अंतःपुरनी स्त्रीजनीपेठे तेने पाळवा पडता हता. // 21 / / ते राजानो अमोघरय नामे एक न. | त्तम दात्री सारथी हतो, के जे सारथीवडे विषाणुवडे जेम अर्जुन तेम राजा रणसंग्राममां जय पा. मतो हतो. // 25 // ते सारथिने दोषरहित यशोमती नामे स्त्री हती. ते स्त्री घरने शोजावनारी हती, अने तेणीने शील शोनावतुं हतुं. // 23 // तेनने योग्य समये अगलदत्त नामे पुत्र थयो, परंतु ढजु तो ते बालक हतो तेवामांज तेनो पिता मृत्यु पाम्यो. // 24 // त्यारे हृदयमां न. हि समाता शोकवडे तेनी माता विलाप करवा लागी के हे विधाता! या कायर मनुष्यपर तें श्रावो कारी घा केम कर्यो ? // 25 // वळी हे विधाता! थाप पुराणपुरुष जतां पण पोतेज जो Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac Gunratnasuri M.S.

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