Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 10
________________ सार्थ धम्मि- पिङान्मनि सुप्रापं / न वैधव्यं दुनोति मां / उनोति यत्पदं चतु-रन्यत्र त्वयि स यपि।। 4 / / ही दमा यतित्वे शृंगारो-गारिणां त्व.िमानिता // प्रष्टि/जे हिमो मावे / निदावेऽरिष्टकृत्पुनः / / // 1 // वीदय वह्नेः पितुस्तेजो / परावृतं दिवाकृता // धूमेनापि धनी व्या-बायते तस्य मंडलं 357 // 4 // प्रारंने गर्भगंडोला / बाल्ये विगत॑शूकराः // तारुण्ये च मदाबौंडाः / प्रायः पुत्राः सह स्रशः // 43 // मातृकुदिदरीसिंहा / बाल्ये बंधुदृशां सुधा / / यौवने कुलधौरेया। वित्रा एव सु. सुलग एवा विधवापणामाटे मने दुःख यतुं नथी, परंतु तुं नां मारा खामिनी पदवी जे बीजाने हाथ गश्बे तेथी मने घणुं दुःख थाय जे. // 40 // दमा मुनिपणाने शोनावनारी जे. गृहस्थो. ने अजिमान शोजावनाएं बे, बीजने वृष्टि शोजावनारी , तथा माघमासने हिम शोजावना, परंतु ननाळामां पडेबु हिम नुकशानकारक बे. // 41 // पोताना पिता अमिनुं तेज सूर्ये लोपेबु जोश्ने शुं धूमाडो एकठो थश्ने सूर्यना ममलने याबादित करतो नथी? // 42 // प्रारतमा गर्जना कीडासरखा, बाव्यपणामां विष्टामूत्रमा खरमाता मुक्करसरखा तथा यौवनवयमा मदोन्मत्त थ. | येला एवा प्रायें करीने हजारो पुत्रो होय . // 3 // परंतु माताना दररूपी गुफामां सिंहसर | PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak. Trust

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