Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 4
________________ धम्मि... श्रुत्वेति धम्मिलः स्माद / साधो साधु वदन्नसि // मयापि सेहिरे क्वेश-राशयो विषयाशया // 14 // वद त्वया कथं दुःखं / सोढं प्रौढपराक्रम // मुनिपृष्टेनेति पृष्टे / सहासं धम्मिलोऽभ्यधा त् // 15 // श्ह दुःख न यः प्राप्तो / दुःख हर्तुं न यः दमः / / दुःखे श्रुते न यो दुःखी / दुःख 351 किं तस्य कथ्यते // 16 // वत्स दुःखमहं प्राप्तो / दुःखं हर्तुमहं दमः // दुःखे श्रुते सदुःखोऽस्मि / / तदुःखं मे निवेदय // 15 // श्य्युक्ते मुनिनाथेन / करुणाकरचेतसा // स स्वं विश्वं जगौ वृ ते सांगलीने धम्मिल बोब्यो के हे मुनिराज! थापे बरोबर कह्यु , में पण विषयोनी था. शाथी जथ्थाबंध सुःखो सहन कर्या . // 14 // हे महापराक्रमी ! तें केवी रीते दुःख सहन कर्य ने? एम ते मुनिए पूज्वाथी धम्मिल हास्यसहित बोल्यो के, // 15 // जे या जगतमां दुःख पा. म्यो नथी, तेमज जे दुःख हरखाने समर्थ नथी, तथा ( परंतुं.) फुःख सांजलवाथी जे दुःखी थ. तो नथी, तेनी आगळ दुःख शुं कहेवू ? // 16 // (त्यारे मुनिए कडं के ) हे वस! में दःख वेठ्यु , तेम दुःख हखाने पण हुं समर्थ , वळी ( परनुं ) सुःख सांजळीने हुं दुःखी थनं. माटे ते ( तारुं) दुःख मने निवेदन कर? // 17 // दयालु मनवाळा मुनिराजे एम कहेवाथी / PP.AC-Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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