Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 2
________________ 100 // अन्यदा वनदावामि-दाहडहि घनागमे // में विप्रो नवप्रौढि-शाली शालीनुवाप // 1 // इतश्चासादिते व्योम-मणिग्रहणपर्वणि // धनलाजाशया सर्वे / माद्यंतिस्म हिजात. यः // 2 // शालिर्विपच्यते याव-त्तावत्पर्वणि पूषणः // गत्वा ग्रामांतरं कंचि-हिनवं संचिनो. 174 | म्यहं // 3 // ध्यात्वेति रदयं शालेयं / पाल्येयं गुर्विणी च गौः / / युवान्यामिति पुत्रौ सो ऽनु. शिष्य प्रास्थित हिजः // 4 // द्विजे दूरं गते तस्मिन् / दारिद्य श्च देहिनि // श्रियमिबत्कलापा / तत्रागानटपेटकं // 5 // नटैः स्वकलया तत्र / तथारंजि चिरं जनः // स्वयं स्पृहाधिकं तेन्यो रे नवी श्राबादीथी खुश थयेला ते ब्राह्मणे ते खेतस्मां मांगर वावी. // 1 // एवामां सूर्यग्रहणनू पर्व श्राव्याथी.धनप्राप्तिनी अाशाथी सर्व ब्राह्मणो हर्षवेला बनी गया. // 2 // जेटलामां था डांगर पा. के तेटलामां था सूर्यग्रहणना पर्वमा कोश्क गाम जश्ने थारुंक धन एकतुं करूं, // 3 // एम वि. चारी ते ब्राह्मण तमारे था डांगरना खेतरतुं रक्षण कर तथा या गर्निणी गायने पण पाळची, एम पोताना बे संतानोने शिखामण थापी त्यांथी चालतो थयो. // 4 // मूर्तिवंत दारिद्यनीपेठे ते ब्राह्मण जेटलामां दूर गयो तेटलामां धननी जावाद्यं अने कलावंत एवं एक नटोनुं टोबु ते Tathasuri.M.S. JunGunAR

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