Book Title: Devi Puranam
Author(s): Pushpendra Sharma
Publisher: Lalbahadur Shastri Kendriya Sanskrit Vidyapitham
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परिवर्त गिरे परिवादी प्रमाथी
परिवाद्यां यजेद्
परिष्वजन्ति ताः
परिसमूह परिसमूहादिभिर्देवता
परिसमूह्योप
पर्जन्योऽहम्
पर्जन्यः कालवर्षी
पर्णोदुम्बर
पर्परौदन पूजायाम् पर्यन्तसहितम् पङ्कोदर संस्था
पर्याप्तञ्च
पर्व्वकाले स्थित
पर्वतेषु
पर्व्वच्छायास्थितः
पर्वतेषु समुद्रेषु
पर्शना पलैर्दशभिरर्द्धन्यै
पश्चिमे
पश्चिमाम्
पश्चिमे पीतरूपा
पश्चिमे तुमुखे
पश्चिमायान्तु
पपश्य वज्र न
पश्यन्ति तत्र
पश्यामि परया
पश्यन्ति मरुतो
पश्यते क्षणमात्रेण
पशुघातः पशुभिरिति पशुमृगपक्षि पक्षिशाव
श्लोकानुक्रमणिका
६५.४५
४६.४४
५०. १६४
६३.२५८
५६.४७
५६.२१
५६.४८
१२७.२०७
५०. ३४१
१२०.६
५०. १७७
६५.६८
५०.१२१
६३.१२१
४६.२५
७.८०
४६.२४
१२७.१३०
६३.२८६
६६.१८
६५.१.०१
प्लवाख्ये विमला
दीर्घ
३६.११७
११९.६३
१२७.५१
३६. १५६
६३.२०१
५६. २०
५६.१५
६.२५
६५.२३
प्रकृतिस्थं च
प्रकृतीनाम्
प्रचण्ड मणिकुण्डलम्
प्रजापति
प्रजानां पतिभिः
प्रजाः सर्व्वाः
प्रजा लोभम्
प्रजापतिसुतावेतावुभौ
प्रजापतये
प्रजा धर्मयुक्ता
प्रजानां वासवो
४.३१
२६.६
३६.८
८५.७३ प्रत्येकशः समस्ता
प्रत्यक्षं वर्त्तते
प्रत्येकमुक्त
प्रत्यक्षा येन
प्रत्यनुगम्
प्रत्युष्टं रक्ष
प्रतिमा
प्रणम्य
प्ररणम्य तम्
प्रणिपातम्
प्रणिता
प्रणीता पृथिवी
प्रणतजनसित
प्रणम्य शिरसा
प्रत्येकं तु
प्रतिमारुदत्
प्रतिमरूपधरा सा
प्रतिमा पूजिता
प्रताडयेन्न
प्रतिचारी विशोर्वापि
प्रतिभावं यदा
५०५
५०. १७१
६६.१५
८०. १७
२.७६
८७.२५
६७५२
४७.३०
७२.५
७२.६
४७.१३
५६.४५
१२७.६
८३.३१
८.१६
८०. १४
३.२२
१३.६३
१२१.१६
८६. ३३
१०.१.११
३१.२४
५०. १६
१६.७
१२३.२३
१०४.१२
७६.३७
५६.४३
१०.६.१०
१३.३३
६५.१६
१२.१६
३.१६६
५१.५
६३.२६०
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