Book Title: Descriptive Catalogue of Sanskrit Manuscripts in Madras Vol 11
Author(s): M Rangacharya
Publisher: Government of Madras

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 3982 A DESCRIPTIVE CATALOGUE OF No. 5128. निरोधविवृतिः. NIRODHAVIVRTIĘ. Pates, 4. Liner, 27 on a page. Begins on fol. 1844 of the MS. described under No. 2981. Complete. An explanatory gloss on the Subodhinī, which is a commentary on the Sri-Bhāgavata. The gloss here relates to the 10th Skand ha. Beginning: अथ निरोधविवृतिः । श्रीगोवर्धनधारिणं शुभकरं शृङ्गारमूर्ति भजे वन्दे नन्दपुराणपुण्यफलितं श्रीबालकृष्णं प्रभुम् । श्रीमद्वल्लभविट्ठलेश्वरविभू ध्यायामि सद्वन्दितौ कुर्वे तत्कृपया निरोधविवृतौ सन्देहविध्वंसनम् ।। अथ निरोधस्य स्कन्धार्थत्वात् प्रथमं तत्स्वरूपं विचार्यते तत्र निरोधोऽस्यानुशयनमात्मनस्सह शक्तिभिरिति वाक्यादात्मनः पुरुषोत्तमस्य शक्तिभिरनुशयनं निरोधः । आत्मपदान्निर्गुणं परं ब्रह्म ग्राह्यम् ; गौणश्चेन्नात्मशब्दादित्यत्र आत्मशब्दस्य परवाचकत()या निर्धारितत्वात् । End: प्रपञ्चस्मरणश्चेत्तदा भगवल्लीलानुभवे मुख्याधिकारो न स्यात् । अतः प्रपञ्चविस्मरणमपेक्षितं तदुपसर्गेण [नितरां, लभ्यते-नितरां रोधः प्रपञ्चविस्मरणपूर्वकस्स निरोध इति । कस्मिन्निरोध इत्यपेक्षायां भगवति निरोध इति ज्ञेयम् । स हि परमरुच्युत्पादकलीलाजन्यत्वेन परमसुख For Private and Personal Use Only

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