Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26 Author(s): P K Gode Publisher: Bhandarkar Oriental Research InstitutePage 18
________________ Upanişads Begins. - fol. 10 ... श्रीगणेशाय ॥ द्वयाह प्राजापत्याः ॥ देवाश्चासुराश्च ततः कानीयसा एव देवा ज्याय...असुरास्त एषु लोकेष्वस्पर्द्धत ॥१॥ Ends. - fol. 580 कश्यपो नैध्रुविर्वाचा वागंभिण्याऽअभिण्यादित्यादादित्यानीमानि शुक्लानि यजू सि वाजसनेयेन याज्ञवल्क्येनाख्यायंते ॥३३॥ ब्राह्मणं ॥५॥ पंचमः प्रपाठक: समाप्तः ॥ इत्यारण्यकाख्यं नाम चतुर्दशमं कांडं संपूर्ण ॥ संवत् १७१५ वर्षे कात्र्तिगवदि ५ तिथौ रविवासरे लिषितं चतुरदासेनस्वयंपठनार्थे रामपुरमध्ये । बृहदारण्यकोपनिषद् Bịhadāraṇyakopanişad 42 No. 693 1895-98 Size.-98 in. by 4 in. Extent. — 146 leaves; 6 lines to a page; 22 letters to a line. Description. - Thick Country paper; Devanagari characters; hand. writing clear, legible and uniform; accents marked in red ink; folios numbered in both margins. Complete. Age. - Saka 1731. Begins. - fol. 10 ॐ नमो श्रीगणेशाय नमः ॥ द्वयाह प्रजापत्याः। देवाश्चासुराश्च ततः कानीयसा एव देवा ज्यायसा असुरास्त एषु लोकेष्वस्पर्द्धत ॥१॥ Ends.-fol. 146a अभिण्यादित्यादादित्यानीमानि शुक्लानि यषि वाजसनेयेन याज्ञवल्क्येनाख्यायंते ॥२३॥ इति वाजसनेयेन उपनिषध पंचमप्रपाठकास्माप्तः ॥ कंडिका १०१ ब्राह्मण ५॥२॥ शके १७३१ शुक्लनामसं० फालगुण वद्य ५ वार २ न० १३ तद्दिनी पुस्तक(क) समाप्तः(सं)॥ रामचंद्र जगनाथ वाइंगकरेन लिखितं मुकाम मुंमई।Page Navigation
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