________________ (महार्थ) और अल्पाक्षर (अल्पार्थ) इस प्रकार चार भंग होते हैं। इसलिए यह दशवैकालिक सूत्र अल्पाक्षर महार्थ नामक प्रथम भंग से युक्त है। अतः उपक्रम, नय, निक्षेप और उपोद्घात आदि द्वारा, इस सूत्र का आलोचना पूर्वक अध्ययन करना चाहिए और यथाशक्य प्रतिपाद्य विषय को अपने जीवन में उतारना चाहिए। ऐसा करने से आप ज्ञानात्मा और चारित्रात्मा की शुद्धि कर सकेंगे और स्वपरतारक पद पर पहुँच कर शिवसुख के अधिकारी बन सकेंगे। जैन मुनि आत्माराम (श्रमण संघीय प्रथम आचार्य सम्राट्) xxiv