Book Title: Chandraprabhacharitam
Author(s): Virnandi, Amrutlal Shastri
Publisher: Lalchand Hirachand Doshi Solapur

View full book text
Previous | Next

Page 610
________________ शब्द अधिकबन्धु अनन्तजिनप अन्याय अमर अहंदीश अध्यानता आरादण्ड उत्कलिका कदलीघात कर्पूरकदली का ज्योति कुन्थुनाथ कुरण्टक क्षीरविकार अ आ Jain Education International क पृष्ठ पङिक्त शब्द জুনি तुम्बिगण्डिका तृणगृह दोहल ७. व्याख्यान्तर्गत विशिष्ट शब्द-सूची पृष्ठ पति १३७ १३ १७० ८ १०४ १ ११ १६ १ ७ २९४ १८ २५३ १६ ६५ २१ ११८ १७ १४२ १६ २४० १९ २५२ ८ ३५ १२ ११ ३०० शब्द अतिशक्तिता अपरगुरु आप्तमीमांसा ४७४ कटोद्भेद कडार पृष्ठ पक्ति ४६९ ३५ ४६४ ३३ धर्मनाथ धूर्तपाप ४७० १२ ४६६ ५ नानार्थ कोष नियम पार्श्वनाथ पीडा पुष्पदन्त प्रार्थनात् ज नीतिवाक्यामृत नेमीश्वर शब्द कुरलक घृणि जिनसेन दवरक परगुरु ལ ho द ध न प १५६ १५ २२३ १०१ १६ १५ ९१ ८ १९६ २३८ १९ 9 ३८४ १५ १८ ७८ २२ ९७ १९ ८ ४०५ १० ४६ ७ ३० ७ १०५ १६ शब्द For Private & Personal Use Only बाधना भक्तग्राम यौवनजन राजेन ८. पञ्जिकान्तर्गत विशिष्ट शब्द-सूची पृष्ठ पति ४७४ २३ ४६४ ४६५ ३८ ४६४ ३५ ४६४ ३२ बाणिज विश्व शीतल शीघ्रात् शीघ्रेण श्रीगन्ध श्री विहार सूत्रकार स्मराहर शब्द भूप्रवृत्ति महादेव रामचन्द्र विद्यामल श्रुतमुनि खस ईवि ब भ य र व श स पृष्ठ पति २९९ ११ ८ ३१५ १८ १४१ ६८ 20 11 ११ ७० ३८ ११५ ८४ ४५८ ८ ५५ १ १८ १४ २१ Va mu ८ ११ १३ १८ १६ १९ w पृष्ठ पति ४६५ १४ ४६४ २४ ४६३ १८ ** २ ४६३ ४७७ १ २७ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 608 609 610 611 612 613 614 615 616