Book Title: Chandraprabhacharitam
Author(s): Virnandi, Amrutlal Shastri
Publisher: Lalchand Hirachand Doshi Solapur

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Page 614
________________ जैन संस्कृति संरक्षक संघ जीवराज जैन ग्रन्थमाला फलटण गल्ली, शोलापुर -२. महत्त्वपूर्ण धार्मिक ग्रन्थ १ तिलोयपण्णत्ति भाग १ : कार्यालयः - सन्तोषभुवन, फलटण गल्ली, शोलापुर - २. आचार्य यतिवृषभकृत, जैन भूगोल आदि विषयक प्राचीन प्राकृत ग्रन्थ; सं० उपाध्ये तथा डॉ० हीरालाल जैन; पृष्ठ ५३२, संस्करण १९४३, द्वितीय संस्करण १ तिलोयपण्णत्ति भाग २ : मूल्य रु.१६-०० उपर्युक्त ग्रन्थका उत्तरार्ध विस्तृत अँगरेजी और हिन्दी प्रस्तावना; पृष्ठ ५२९ से १०३२ प्रथम संस्करण १९५१ । १ अ० तिलोयपण्णत्तीका गणित ले० प्रा० लक्ष्मीचन्द्र जैन; यह स्वतन्त्र पुस्तिका मिलती है । मूल्य रु०३ । २ यशस्तिलक अँड इण्डियन कल्चर : ले० प्रो० कृष्णकान्त हन्दिकी; गोहाटी विश्वविद्यालयके उपकुलपति इस अँग्रेजी सोमदेव के महान् ग्रन्थ यशस्तिलकका (दसवीं सदी) का भारतीय संस्कृति की दृष्टिसे प्रस्तुत किया गया है । पृष्ठ ५४०; प्रथम संस्करण १९४९ । मूल्य रु.१६-०० डॉ० आ० ने० १९५६ । ३ पाण्डवपुराण : मूल्य रु.१२-०० भट्टारक शुभचन्द्र विरचित संस्कृत कथाग्रन्थ; प्रस्तावना तथा हिन्दी अनुवाद सहित; सं० पं० जिनदास शास्त्री फडकुले; पृष्ठ ५२०; प्रथम संस्करण १९५८ । मूल्य रु.१६-०० ग्रन्थमें आचार्य गहन अध्ययन ४ प्राकृतशब्दानुशासन : मूल्य रु.१०-०० त्रिविक्रमविरचित प्राकृत व्याकरण, सं० डॉ० परशुराम लक्ष्मण वैद्य; पृष्ठ ४७८; प्रथम संस्करण १९५७ । ५ सिद्धान्तसार संग्रह : Jain Education International मूल्य रु.१०-०० नरेन्द्रसेनाचार्यकृत प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ, पाठान्तर और हिन्दी अनुवाद सहित; ले० सं० पं० जिनदासशास्त्री फडकुले; पृष्ठ ३००, प्रथम संस्करण १९५७ । ६ जैनिझम इन् साउथ इण्डिया अँड सम जैन एपिग्राफ्स् : मूल्य रु.१६-०० ले० डॉ० पी० बी० देसाई; इस अँगरेजो ग्रन्थ में आन्ध्र, कर्नाटक और तमिलनाड में जैनधर्म के कार्यका विशद और प्रामाणिक वर्णन प्रस्तुत किया गया है । पृष्ठ ४४६, प्रथम संस्करण ७ जम्बूदीवपत्ति संगह : १९५७ । मूल्य रु.१६-०० आचार्य पद्मनन्दीकृत जैन भूगोल विषयक प्राचीन प्राकृत ग्रन्थ, ( दसवीं शताब्दी ) सं० डॉ० आ० ने० उपाध्ये व डॉ० हीरालाल जैन, हिन्दी अनुवादक पं० बालचन्द्र शास्त्री; तिलोयपण्णत्तीका गणित शीर्षक विस्तृत हिन्दी निबन्ध (ले० प्रो० लक्ष्मीचन्द्र जैन ) भी इसमें हैं । पृष्ठ ५००, प्रथम संस्करण १९५८ । ८ कुन्दकुन्दप्राभृतसंग्रह : मूल्य रु.६-०० सं० पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री; आचार्य कुन्दकुन्दके समग्र ग्रन्थोंका विषयानुसारी वर्गीकरण, अध्ययन समयसारके सम्पूर्ण अनुवादके साथ, विस्तृत प्रस्तावना सहित; पृष्ठ ८, प्रथम संस्करण १९६० ॥ ९ भट्टारक संप्रदाय : मूल्य रु.८-०० सं० प्रो० विद्याधर जोहरापूरकर; बलात्कारगण तथा काष्ठसंघ के भट्टारकोंका इतिहास तथा उसके साहित्यिक - शिलालेखीय और परम्परागत साधनोंके विस्तृत उद्धरण, पृष्ठ ३२६, प्रथम संस्करण १९५८ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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