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[ ए ] प्रभावक-शाखविशारद-साहित्यरत्न-कविभूषण-प्रखरवक्ता -लेखपटुबालब्रह्मचारी प० पू० आ० श्रीमद् विजयसुशीलसूरीश्वरजी म० श्रीए तेओधीना स्वर्गीय पू० प्रगुरुदेवनी आज्ञाथी आ ग्रंथनु सम्पादन अने संशोधन कार्य सुन्दर करेल छे. तेमज अमारी साग्रह विनंतिथी प्रस्तावना पण लखी आपेल छे. ए बदल अमारी श्री ज्ञानोपासक समिति वन्दन करवापूर्वक तेओश्रीनो आभार माने छे. तेमज आ ग्रंथना द्वितीय विभाग- पण सम्पादन अने संशोधन कार्य करवा माटे पुनः विनंति करे छे.
आ ग्रंथ प्रकाशनमां प० पू० आ० श्रीमद् विजयदक्षसूरीश्वरजी म. श्रीना सदुपदेशथी, राजस्थानान्तर्गत मरुधरस्थ सनवाडानिवासी देवगुरुभक्तिकारक-श्रमरणोपासक शा० धरमचन्द रुपाजीए रूपिया २०००) नी सहायता आपी छे ए बदल एमनो आभार मानीए छोए.
तेम ज आ ग्रंथर्नु मुद्रण कार्य करनार जोधपुरवाला कुम्भट प्रिण्टर्सना मालिक शा0 मखतूरमलजी कुम्भट नो पण आभार मानीए छोए.
लि.
श्री ज्ञानोपासक समिति ना प्रमुख बगडीया चिमनलाल हरिचंद
तथा कार्यवाहक प्रमुख बगडीया हसमुखलाल दीपचंद
बोटाद (सौराष्ट्र)