Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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जैन आगम टीका
सदीनो गणी शकाय. (विशेष विगत माटे जुओ. ज.सा.इति.-मो. द. देसाई-पृ. ५६५
(८२६) मूळ रचना प्राकृतमां छे. प्र.स./१३
परि./२४३५ श्रावक षडावश्यक सूत्र-स्तबक ले. स. १८९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ३३.
२५.९४११.५ से.मि. प्रथाग्र ११००. प्र.सं./१४
परि/५८३९ नयविजय (त.)
कल्पमूत्र-स्तबक ले. स. १८मुशतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १५६. २४.४४१०.५ से.मि.
-तूटक. पत्र ११७ थी १२२ फाटेलां छे.
कर्ता तपगच्छना विजयदेवसरिना शिष्य छे. प्र.स/१५
परि./५०९४
पद्मसुंदरगणि (त.) भगवतीसूत्र-स्तबक ले. स. १७९४; हाथकागळ पत्र ७४२. २५.८४११ से.मि.-संपूर्ण.
कर्ता बृ. तपगच्छना धनरत्नसूरिनी परंपरामां राजसुंदरसूरिना शिष्य अने समय १८९ शतक. पंडित मुनिकल्लोले भट्टनेर गाममा मूळ साथे आ प्रति उतारी. प्र.सं./१६
परि./४८४९ पार्श्वचंद्र (ना. तप.)
१-आचारांगसूत्र बालावबोध ले. स. १६९ शतक. (अनु.); हाथकागळ पत्र ९-१०६; ३०.५४११.५ से.मि.-तूटक.
कर्ता बृहत्तपा नागोरी गच्छना साधुरत्नना शिष्य छे अने १६मा शतकना अनुमानवामां आवे छे. (जै. गू. क. पृ. १६८८.) प्रति जीर्णावस्थामा छे. पत्र १-८ अने १७मुं नथी. पत्र-२१
मांनो टुकडो नथी; ३९, ४२ थी ५९, ६२थी ७२ पत्रो नथी. प्र.स./१७
परि./१२६५ २-आचारांग सूत्र सत्क विमुक्तिचूला-बालावबोध ले. सं. १७३०; हाथकागळ पत्र २.
२४.५४१०.७ से.मि.-पंचपाठ, प्र.सं./१८
परि./६०१ ३-आचारांग सूत्र-बालावबोध ले. स. १७९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १२१.
२६.८४११ से.मि.-त्रिपाठ. पत्र ४४९ डबल छे. पत्र १ पाछळथी लखेलुं छे.. प्र.सं./१९
परि./२९६५ ४-आचारांग सूत्र प्रथम श्रुतस्कंध बालावबोध ले. सं. १६७२; हाथकागळ पत्र ८४. २६.२४११ से.मि.-पंचपाठ.
आ प्रति बीबीपुरमां लखायेली छे. प्र.सं./२०
परि./५४७६
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