Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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जैन आगम टीका
मोल्हक (जीवर्षिगणिशिष्य )
औपपातिक सूत्र-बालावबोध र. स. १६६२, ले. स. १८२२, हाथकागळ पत्र ७०, २६.२४ ११.१ से.मि-त्रिपाठ.
पं. रामानंद गणिए उज्जैनमा प्रति लखी छे. प्र..सं./३७
परि./४७८६ राजचंद्र औपपातिक सूत्र-स्तबक ले. स. १६८१, हाथकागळ पत्र ११९, २६४११ से.मि. ग्रांथाग्र ५०००
कर्ता पार्श्व चंद्रीय रामचंद्रसूरिना शिष्य छे. जै. सा. इति.मां आ रचना राजचंद्रने नामे नांधायेली नथी. प्रति पाटणमां लखायेली छे. प्र.सं./३८
परि./४६३३ दशवकालिक सूत्र-स्तबक र. सं. १६६७, ले. स. १८९ शतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ५२,
२५.४४११.१ से.मि.-अ प्र.सं./३९
परि./३९२०
दग.
राजहंस (ख)
दशवकालिक सूत्र-बालावबोध ले. स. १७मुशतक (अनु.), हाथकागळ पत्र ७५, २५.५४१०.८ से मि.- संपूर्ण.
कर्ता-खरतर गच्छना जिनचंद्रसूरिनी परंपरामां हर्षतिलकसूरिना शिष्य, समय १७९ शतक. पत्रा ६०, ६६, ६८ पाछळथी लखेलां छे. प्र.सं./४०
परि./५११९ विनयविमल उपा. ( तप)
देववंदनादि भाष्यत्रय-स्तबक ले. स. २०मु शतक (अनु), हाथकागळ पत्र ४७; २५.८x ११-६ से.मि.-सपूर्ण.
कर्ता तपगच्छना छे, अने तेओ स. १६५४मां हयात हता. (प्र. सं. पृ. १५४, ६०५) आ कर्ता जै. सा. इति. मां नेांधायेला नथी. देवेन्द्रसूरिनी मूळ कृति प्राकृतमा छे. प्र.स/४१
परि./८०९४ शिवनिधान गणि (ख).
कल्पसूत्र व्याख्यान ५-७ स्तबक (र. स. १६८० ). ले. स. १८मुं शतक (अनु ). हाथकागळ पत्र १२० थी २३६, २६४११.६ से.मि. पत्र १ थी ११९ नथी.
___का खरतर गच्छना हर्षसारना शिष्य अने १७मी सदीना छे. जै. गू. क. पृ. १५९९. प्र.सं./४२
परि./२३३९ समयसुन्दर (ख)
षडावश्यक सूत्र-बालावबोध ले. स. १७३८, हाथकागळ पत्र ४०; २५.५४ १०.९ से.मि. थाग्र १५८२....:
कर्ता खरतर गच्छना सकलचंदना शिष्य छे. राजलाभगणिए वणाडमां प्रति उतारी छे. प्र.सं:/४३ .
परि./३०५४
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