Book Title: Catalogue of Gujarati Manuscripts
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 15
________________ जैन आगम टीका जीवविजय (तप.). १-प्रज्ञापनासूत्र-स्तबक. र. स. १७८४; ले. स. २०मुशतक (अनु.) हाथकागळप त्र ३२६ सुधी. २६.८४११.७ से.मि.; थाग्र ७७८७ (मूळने।) संपूर्ण-प्रति बे भागमां वहँची नाखवामां आवी छे. विक्रमना अढारमा शतकना आ कर्ता तपगच्छना विजयसिंह> गजविजय> गुणविजय > हितविजय> ज्ञानविजयना शिष्य छे. श्यामाचार्यनी मूळ रचना प्राकृत भाषामां छे. प्र.सं./७ परि./१०५८(१) २---प्रज्ञापना सूत्र-स्तबक र. सं. १७८४; ले. स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ ३२७थी ३६२; २६.८४११-७ से.मि.; ग्रंथाग्र (स्तबक) २८००० संपूर्ण-प्रति बे भागमां वहैंची माखवामां आवी छे.. प्र.स./ परि./१०५९(२) ३-प्रज्ञापना सूत्र-स्तबक. र. सं. १७८४ ले. स. २०९ शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र ४२२; २५४१२.३ से.मि.-प्रांथाग्र ५२७८४. प्र.सं./९ परि./२०७८ १-जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति-स्तबक: ले. स. १९९ शतक (अनु.): हाथकागळ पत्र २५८; २८४१३ से.मि.-नांथाग्र ५१४६. मूळ कृति प्राकृतमा छे. प. न्यानविजये आ प्रति लखी छे. प्र.सं./१० परि/१४३ २-जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति-स्तबक र. स. १७७०; ले. स. १७९७; हाथकागळ पत्र २५५ २५.३४१ से.मि.-ग्रंथाग्र ४१४६+१५०००. आ प्रति देवविमले गारबदेसरमां लखेली छे. प्र.सं./११ परि./८०९८ ज्ञानविमल (नयविमल.) (तप.) कल्पसूत्र (ढाळबद्ध) बालावबोध ले. स. २०मुं शतक (अनु.); हाथकागळ पत्र १६६. २६.८४१२.५ से.मि.-प्रथाग्र ५३५० ___कर्ता तपगच्छना विनयविमलनी परम्परामां धीरविमलना शिष्य छे. जन्मे १७मा शतकना पण कवि तरीके १८मा शतकना छे. (जै. गू. कविओ-मो. द. देसाई, पृ.३०८) घेलाशाना बरवाळामां दोला नानजीओ आ प्रति मुनि प्रश्नविजयजी माटे लखी. प्र.सं./१२ परि./३२४ ताराचंद शेठ श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र-स्तबक ले. स. १७९४; हाथकागळ पत्र ४२: २६४११.६ से.मि. -ग्रांथाग्र मूळ ७०० ग्रांथाग्र स्त्तबक २३००-तूटक. पत्र-२५ अने २६ नथी. .. कर्ता चित्तोडना सुप्रसिद्ध भामाशाहना भाई छे. अने समय विक्रमनी 1६मीथी १७मी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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