Book Title: Bole Bandhnarni Kathao Author(s): Hasu Yagnik Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ ६४ अनुसन्धान ५० (२) पडी छे एवी वेश्या, पियरमां के सासरामां क्यांय गमतुं नथी ओवी नववधू, दुबळो होय त्यारे भोणमांथी नीकळतां मुश्केली पडे अने जमीने पुष्ट थयो होय तो पण सहेलाइथी प्रवेशी शके ओवो नाग, मात्र एक ज वृक्ष नीचेनुं खड चरवानुं भावतुं हतुं ओवुं हरण, लोकोओ जेनुं पूजन करवानुं छोडी दीधुं ओवा वनदेवता, स्मृतिभ्रंशनो रोग अचानक थइ आवेलो ओवो छात्र वगेरे मळ्या अने ओ सहुओ 'आदासमुख जेवा बुद्धिशाळी अने न्यायी राजाने मळवा जाव छो त्यारे अमारां पण दु:खनां कारण-वारण जाणता आवजो' ओम गामणीचण्डने जणाव्युं. अन्ते गामणीचण्ड वाराणसी पहोंच्यो. बालवयनो परंतु चतुर अने बुद्धिशाळी राजा आदासमुख पोताना जूना मुखीने ओळखी गयो फरियाद सांभळी न्याय तोळवा जणाव्युं : १. मुखीओ हाथोहाथ उधार मागेला बळदने सोंप्यो अथी ओना हाथ कापी लेवा, परंतु मालिके बळद अनां स्थाने बंधातो जोई शकातो होवा छतां ओनी आंखे न जोयो अथी आंखो फोडी नाखवी. २. गर्भपातनो भोग बनेली पोतानी पत्नीने फरियादीओ गामणीचण्डने सोंपी देवी अने तेने गर्भवती बनावीने मूळ मालिकने सोंपवी. ३. फरियादीओ बाप गुमाव्यो छे तेथी गामणीचण्डे वृद्ध मृतकनी पत्नी साथे लग्न करवा जेथी युवान वणकरने मागणी प्रमाणे बाप मळे. ४. घोडावाळाने लंगडाने बदले साजो घोडो राज अपावशे परंतु गमे तेम करीने घोडाने रोकवानुं कहेनार फरियादीनी जीभ कापी लेवी - चारे फरियादीओओ पोतानी फरियाद पाछी खेंची लीधी अने दण्डनी रकम गामणीचण्डने आपवामां आवी. मुखी, गणिका, ग्रामवधू, नाग, हरण, वनदेवता, छात्र वगेरेनां दुःखदर्दनां कारण-वारण आपतां राजाओ जणाव्युं : १. धर्मानुसार न्याय करवानुं छोडतां मुखी पाण्डुरोगी बन्यो छे. २. जेनुं धन ले अनी सेवा करवानुं मूकीने मनगमतां होय अमने ज सुखसेवा आपवाने कारणे गणिका पासे ग्राहको जता नथी. ३. सासरा अने पियरनां गामनी वच्चे नववधूनो पूर्वप्रेमी वसे छे अथी क्यांय गोठतुं नथी. ४. भोणमां धन छे तेने साचववानी पळोजण - चीवटने कारणे नीकळतां क्षीणकाय अवस्थामां मुश्केली पडे छे. ५. जे वृक्षनुं घास चरवुं गमे छे तेना पर मधपूडो छे. ६. वनदेवता रक्षक मटी जतां पूजाता बंध थया. ७.Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12