Book Title: Bole Bandhnarni Kathao
Author(s): Hasu Yagnik
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 7
________________ मार्च २०१० अपावे छे. आ कारणे ज तत्त्वतः बे भिन्न अने स्वतन्त्र अवां कथानको संकळातां कथानुं ओक अवुं रूप बंधाय छे, जे अनी पूर्णकथा तरीकेनी अतूट ओवी परम्परा ऊभी करे छे. अहीं विशेष नोंधपात्र से छे के पालि अने प्राकृतमां पण जेनुं अस्तित्व छे अवी प्राचीनमूळनी कथा गुजरातना गोहिलवाडनी कण्ठपरम्परामां मळे छे. बोले बांधनारनी जे वचनसार - चिपिटनासनी कथा छे तेनो पण प्रादेशिक स्रोत धंधुका ज छे. उत्तरार्धमां ते कथाओ जोईओ. ओमां मुख्य पात्र छे ते पनोतीग्रस्त के अभागिया जेवुं सालस - निर्दोष नथी परंतु कां तो 'टणक' अथवा 'धूर्त' छे. ओ अंगत हेतुथी, स्वार्थथी, सामी व्यक्तिने बोलथी बांधीने विवश बनावे छे. ६७ केवळ टीखळ-मजाक माटे ज बोलनारना शब्दोनो पोताने अनुकूळ ओवो अर्थ करवानी शब्ददळनी युक्ति लंका - काण्डनी प्राकृतभाषामां मळती कथामां मळे छे. नेमिचन्द्र गणिओ ई. १०७३ थी १०८३ना गाळामां प्राकृतग्रन्थ 'आख्यानक-मणि-कोश'नी रचना करी तेना पर ई. ११३४ मां आम्रदेवसूरिओ धोळकामां वृत्ती रची तेमां आ कथा मळे छे. (विशेष वीगत - सन्दर्भ माटे जुओ 'आख्यानक-मणि-कोश' आख्यानक १०६, पृ. २८५-२८६ अथवा ‘लोककथानां मूळ अने कुळ' डॉ. हरिवल्लभ चू. भायाणी, पार्श्व प्रकाशन, अमदावाद : १९९० पृ. १६५ थी १६७) अनो कथासार आ प्रमाणे छे : पत्नी साथे अणबनाव थतां अक युवान परदेश जवा नीकळ्यो. रस्तामां महियारीओ मळी अणे वाट खुटाडवा, रसना रेला चाले ओवी वात करवा कह्युं. आथी हारबंध, माथे दहीं भरेली मटुकीओ लइने चालती महियारीओ आडे पोतानो पग नाख्यो. तेरेय महियारीओ गोथु खाई गई अने माथे मूकेली मटुकीओनां दहींना रेला चाल्या. परिणामे लांबो झघडो थयो, प्रवास पूरो थतां गाममां पहोंच्यां त्यारे युवाने कह्युं : 'जुओ, झघडो करीने अने रसना रेला चाले ओवी वात करीने में तमारा कहेवा प्रमाणे वाट खुटाडी. ' आम कही ते छटकी गयो अने वेश्यावासमां रोकायो. राते ओक घरडी वेश्याओ रामायणनी लंकाकाण्डनी वात कहेवा जणाव्यं. युवाने पूछ्युं : 'लंकाकाण्डनी वात कहुं के ते प्रत्यक्ष बतावुं ?" डोशी बोली : ‘प्रत्यक्ष बताव.' आथी युवाने, 'जो हुं तने हनुमाने मुक्को मारीने

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