Book Title: Bhavantno Upay Samayikyoga
Author(s): Sunandaben Vohra
Publisher: Gunanuragi Mitro
View full book text
________________
नव अकरवोडा
२१४ *
Jain Education International
(५) मुहपत्तीने चित्रमा बताव्या मुजब आंगलीओमा भरावो. पछी आंगळाथी कांडा तरफ अने फरी कांडाथी आंगळा तरफ मुहपत्ती वडे त्रण ऋणवार प्रमार्जना करो, साथे नीचेना बोल बोलो"सुदेव, सुगुरु, सुधर्म आदरु” "कुदेव, कुगुरू, कुधर्म परिहरू" ज्ञान दर्शन चारित्र आदरू, ६) "ज्ञान विराधना, दर्शन विराधना, चारित्र विराधना परिहरू" "मनो गुप्ति, वचन गुप्ति, काय गुप्ति, आदरू, मनोदंड. वचन दंड. कायदंड परिहरु'
पछी जमणा हाथना पृष्ठभागे मुहपत्ती (छठा चित्र मुजब ) फेरवतां
७ “हास्य, रति, अरति
परिहरू" बोलो
पछी डाबा हाथमा मुहपत्ती भरावीने • जमणा हाथना पृष्ठभागे फेरवतां
"भय, शोक, जुगुप्सा परिहरु बोलो
For Private & Personal Use Only
भवांतनो उपाय :
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 227 228 229 230 231 232