Book Title: Bhav Sangrahadi
Author(s): Pannalal Soni
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 12
________________ १७ षट्शाभूतादिसंग्रहः (षट्प्राभृतं सटीकं, लिंगप्राभृतं, शीलप्राभृतं, ___ रयणसारः, द्वादशानुप्रेक्षा ) ... ... . ३) १८ प्रायश्चित्तसंग्रहः (छेद-पिडं, छेद-शास्त्रं, प्रायश्चित्त-चूलिका, प्रायश्चित्त-ग्रन्थः ... ... ... ... १०) १९ मूलाचारः सटीकः ( सप्ताध्यायपर्यन्तः) ... ... २॥) २० भावसंग्रहादिः (प्राकृतभावसंग्रहः, संस्कृतभावसंग्रहः, भाव त्रिभंगी, आस्रव-त्रिभंगी) ... ... नीतिवाक्यामृत सटीक, सिद्धान्तसारादिसंग्रह और रत्नकरण्डटीका ये तीन अन्य छप रहे हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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