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मद्रास प्रान्त । है। स्टेशनसे करीव ३ मील तक रास्ता अच्छा वनाहुआ है इसके बाद रास्ता पहाड़ी चट्टानोंका है।
यहां जैन, हिंदू और बोद्धोंके मन्दिरोंका समूह अत्यन्त सुन्दर व देखने योग्य है। यहां ६ घर दिगम्बरियोंके और ७० घर 'निरपुसी' जैनियोंके हैं । मनुष्य संख्या ' अनुक्रमसे ३७ और २५० है ।
मन्दिरोंके समुहों से हिन्दुओंके मन्दिर अच्छे हैं, और बौद्धोंका मन्दिर जीर्णावस्थाम है। दि० जैनमन्दिर बहुत छोटा है, परन्तु उसकी कारीगरीका काम अवर्णनीय है। पूजन प्रक्षाल योग्य समयपर होता है । मन्दिर अनुमान दो हजार वर्षका प्राचीन मालूम होताहै । यह पवित्र भूमि होनेके कारण यात्री लोग दर्शन पूजनार्थ हमेशा आया जाया करते हैं और दिन प्रतिदिन यात्रियोंकी आवागमनकी संख्या बढ़ती रहती है। अन्यमतावलम्बी भी दत्तचित्त होकर भगवान श्रीआदिनाथ महाराजके दर्शन पूजन करते हैं। किसी एक धर्म निरपुसी जैनीकी यात्रियोंको ठहरनेके लिये एक 'धर्मशाला' बनी हुई है । परन्तु इस समय वह कई जगहसे गिरने लगी है। उसकी मरम्मत हाजाना अत्यंत आवश्यक है । इस क्षेत्रका प्रबन्ध नरयामपुथुर वालोंके' हाथमें है । नरयामपुथुरमें दिगम्बर जैनियोके छै घर हैं परन्तु मन्दिर एक भी न होनेके कारण वे 'अपीकम' में दर्शनपूजनके लिये आते हैं ।
एडैयालम्। यह ग्राम दक्षिण 'अर्कार' जिलेमें साऊथ इन्डियन रेलवे लैनमें 'मैलम' स्टेशनस करीब ३ मीलकी दूरीपर है। रास्ता पहाड़ी है और चारों ओर चक्कर देकर जाना पड़ता है । यहांपर श्रावकोंके आबाद घर करीब १५ व मनुष्य संख्या ७० है । यहापर एक छोटासा शिखरबंद मन्दिर करीब तीन हजार वर्षका प्राचीन ज्ञात होता है। मन्दिरमें श्री "ऋषभदेवजी" की प्रतिमा खङ्गासन बिराजमान है। इसमें कुछ अच्छ २ कमरें भी हैं । कहते हैं कि यहां "श्रीमल्लिसेनाचार्य" मुनि इन कोठरियोंमें तपस्या करते थे, और इसको श्रीसिद्धान्त मुनिका जन्मस्थान भी बतलाते हैं । ग्रामसे कुछ दूरीपर श्री विमलनाथ स्वामीकी पादुका है, इस लिये सर्व जैनीभाई पूजन प्रक्षालके लिये वहां अकसर कभी २ जाया करते हैं।
कलीकोट। मद्रास हातेमें मलावार के किनारेपर मालावार (केरल चेरा देश) जिलेका सदर स्थान