Book Title: Bhaktamara Rahasya
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 547
________________ ४४. ભક્તામર-થબ સત્તાવીશામાં को विस्मयोऽत्र यदि नाम गुणैरोषै ॐ हीं अर्ह णमो तत्ततवाणं". | स्त्वं संश्रितो निरवकाशतया सुनीश!। | “ॐ नमो चकेश्वरी देवी चकधारिणी • जं जं जं जं जं तासी IF न | | ... क | F | m4 जं जं जं चक्रेणानुकूलं साधय साधय शत्रून दोषैरुपात्तविविधाश्रयजातगः । जं जं । जं । जं जं जं जं । उन्मूलय उन्मूलय स्वाहा।" स्वपान्तरेऽपि न कदाचिदपीक्षितोऽसि ॥२७॥ यंत्रावली XXXXD

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