Book Title: Bhagwati Sutra Part 03 Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 3
________________ १७ भगवतीसुत्र भा ३ तीसरेकी विषयानुक्रमणिका तीसरा शतक उमेशा पहेला १ प्रथम उद्देशेका सक्षिप्तविपय विवरण १-५ २ मोकानगरी में वीर भगवान्या समवमरण ३ समरके विपयमें दूसरे गणधर अग्निभूतिका प्रश्न ४ गौतमके प्रति भगवानका उत्तर १८-२७ ५ सामानिषदेवर्दिके विषयमें गौतमका प्रश्न ०८-२९ ६ सामानिदेवर्टिके विषयमें भगवानका उत्तर ३०-३८ ७ सायस्त्रिंशकदेव के ऋदि और विकुर्वणा शक्तिमा निरूपण ३८-४८ ८ ममिभूतिका वायुभूतिक पति चमरेन्द्रकी ऋद्धिक स्वरूपका वर्णन ४७-०५ ९ अमिभूतिके पथनमा भगवानका समयेन ५६-६० १० बालीन्द्रके ऋद्धिविषयमें वायुभूनिया प्रश्न ६०-६५ ११ नागरानधरणेन्द्रकी ऋद्धि विकुर्वणागक्ति आदिका निरूपग ६६-७८ १२ देवराज शकेन्द्रके ऋद्धि आदिवा निरुपण ७९-८६ १३ तिप्यनामके मामानिर देवकी ऋद्धि आदिका वर्णन ८६-१०१ १४ तिष्यफ अनगारके विपयमें भगवानका उचर १०२-११२ १५ ईशानेन्द्रकी विकुणाका निरूपण । ११२-१२३ १६ कुरुदच अनगारके स्वरूपका निरूपण १२३--१३४ १७ सनत्कुमारदेवकी ऋदि आदिका निरूपण १३५-१५१ १८ ईशानेन्द्रकी दिव्य देवऋदिका वर्णन १५१-१६४ १९ ईशानेन्द्रके पूर्वमवका वर्णन १६५-१६७ २० ईशानेन्द्रके ऋदिकी माप्तिके पारणका निरूपण १६७-१९८ २१ ताम्रलिप्त तापसद्वारा स्वीकृत माणामिफी प्रवज्याकी माचा दिका निरूपण १९९-२०४ २१ तामनीकृत पादपोपगमनसयारेका निरूपण । २०४-२१८ २३ पछिचचाराजधानीमें स्थित देवादिकी परिस्थितिमा निरूपण २१९-२४२ २४ मलिचचाराजधानीके निवासी देवोंने सामली सापसको कालगत मानकर उनके शरीरकी विडम्पना मादिका वर्णन २४३-२५७Page Navigation
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