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भगवतीसुत्र भा ३ तीसरेकी विषयानुक्रमणिका
तीसरा शतक उमेशा पहेला १ प्रथम उद्देशेका सक्षिप्तविपय विवरण
१-५ २ मोकानगरी में वीर भगवान्या समवमरण ३ समरके विपयमें दूसरे गणधर अग्निभूतिका प्रश्न ४ गौतमके प्रति भगवानका उत्तर
१८-२७ ५ सामानिषदेवर्दिके विषयमें गौतमका प्रश्न
०८-२९ ६ सामानिदेवर्टिके विषयमें भगवानका उत्तर
३०-३८ ७ सायस्त्रिंशकदेव के ऋदि और विकुर्वणा शक्तिमा निरूपण ३८-४८ ८ ममिभूतिका वायुभूतिक पति चमरेन्द्रकी ऋद्धिक स्वरूपका वर्णन ४७-०५ ९ अमिभूतिके पथनमा भगवानका समयेन
५६-६० १० बालीन्द्रके ऋद्धिविषयमें वायुभूनिया प्रश्न
६०-६५ ११ नागरानधरणेन्द्रकी ऋद्धि विकुर्वणागक्ति आदिका निरूपग ६६-७८ १२ देवराज शकेन्द्रके ऋद्धि आदिवा निरुपण
७९-८६ १३ तिप्यनामके मामानिर देवकी ऋद्धि आदिका वर्णन ८६-१०१ १४ तिष्यफ अनगारके विपयमें भगवानका उचर
१०२-११२ १५ ईशानेन्द्रकी विकुणाका निरूपण ।
११२-१२३ १६ कुरुदच अनगारके स्वरूपका निरूपण
१२३--१३४ १७ सनत्कुमारदेवकी ऋदि आदिका निरूपण
१३५-१५१ १८ ईशानेन्द्रकी दिव्य देवऋदिका वर्णन
१५१-१६४ १९ ईशानेन्द्रके पूर्वमवका वर्णन
१६५-१६७ २० ईशानेन्द्रके ऋदिकी माप्तिके पारणका निरूपण १६७-१९८ २१ ताम्रलिप्त तापसद्वारा स्वीकृत माणामिफी प्रवज्याकी माचा दिका निरूपण
१९९-२०४ २१ तामनीकृत पादपोपगमनसयारेका निरूपण
। २०४-२१८ २३ पछिचचाराजधानीमें स्थित देवादिकी परिस्थितिमा निरूपण २१९-२४२ २४ मलिचचाराजधानीके निवासी देवोंने सामली सापसको
कालगत मानकर उनके शरीरकी विडम्पना मादिका वर्णन २४३-२५७