Book Title: Bhagwati Sutra Part 01
Author(s): Kanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 2
________________ वाचना- प्रमुख : आचार्य तुलसी संपादक-भाष्यकार : आचार्य महाप्रज्ञ युगप्रधा ★ याच युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी (१९१४१९९७) के वाचना-प्रमुखत्व में सन् १९५५ में आगम-वाचना का कार्य प्रारंभ हुआ, जो सन् ४५३ में देवर्धिगणी क्षमाश्रमण के सान्निध्य में हुई संगति के पश्चात् होनेवाली प्रथम वाचना थी । सन् २००७ तक ३२ आगमों के अनुसंधानपूर्ण मूलपाठ संस्करण और ११ आगम संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद एवं टिप्पण सहित प्रकाशित हो चुके हैं। आयारो (आचारांग का प्रथम श्रुतस्कंध ) मूल पाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी-संस्कृत भाष्य एवं भाष्य के हिन्दी अनुवाद से युक्त प्रकाशित हो चुका है। आचारांग-भाष्य तथा भगवई खंड - १, २ के अग्रेजी संस्करण भी प्रकाशित हो गये हैं। इस वाचना के मुख्य संपादक एवं विवेचक (भाष्यकार) हैं- आचार्यश्री महाप्रज्ञ (मुनि नथमल / युवाचार्य महाप्रज्ञ) (जन्म १९२०) जिन्होंने अपने सम्पादन- कौशल से जैन आगमवाङ्मय को आधुनिक भाषा में समीक्षात्मक भाष्य साथ प्रस्तुति देने का गुरुतर कार्य किया है। भाष्य में वैदिक, बौद्ध और जैन साहित्य, आयुर्वेद, पाश्चात्य दर्शन एवं आधुनिक विज्ञान के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर समीक्षात्मक टिप्पण लिखे गए हैं। टिप्पण आचार्यश्री तुलसी ११ वर्ष की आयु में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के अष्टमाचार्य श्री कालूगणी के पास दीक्षित होकर २२ वर्ष की आयु में नवमाचार्य बने ।

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