Book Title: Bhagvati Sutram Part 04 Author(s): Sudharmaswami, Publisher: Hiralal Hansraj View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir प्रवतिः उदेश 1610 कायस्थेसि तुम जाया जावपरिक्खित्ते जेणेव खत्तियकुंडग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छह तेणेव उवागच्छित्सा खत्तियकुंडग्गाम नगरं याख्या मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छह तेणेव उवागच्छित्ता तुरए नि लागिण्हह तुरए निगिण्हित्ता रहं ठवेह रहं ठवेत्ता रहाओ पच्चोकहइ रहाओ पचोरुहित्ता जेणेव अभितरिया उव८३८॥ Pाणसाला जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छिता अम्मापियरो जएणं विजएणं बद्धावेह वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अम्मताओ! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, सेवि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तए णं तं जमालिं वत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-धन्नेसि जणं तुमं जाया! कयत्थेसिणं तुम जाया! कयपुन्नेसि णं तुम जाया ! कयलक्खणेसि णं तुम जाया! जन्नं तुमे |समणस्म भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते सेवि य धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, ज्यारे श्रमण भगवंत महावीरे जमालिने ए प्रमाणे का त्यारे ते प्रसन्न अने संतुष्ट थइ श्रमण भगवंत महावीरने प्रणवार प्रदक्षिणा करी यावत् नमस्कार करीने चारघंटावाळा अश्वरथ उपर चढे छे, चढीने श्रमण भगवंत महावीरनी पासेथी अने बहुशालक | चैत्यधी नीकळे छे. नीकळीने माथे धराता यावत् कोरंटपुष्पनी मालावाळा छत्रसहित, मोटा सुभोभटोना समूहथी वींटायलो ते जमालि | ज्यां क्षत्रियक्डग्राम नामे नगर छे त्यां आवे छे. आवीने क्षत्रियकुंडग्राम नामे नगरनी मध्यभागमां थइने जे स्थळे पोतार्नु घर छे अने ज्यां बह्मरनी उपस्थानशाला छे त्यां आवे छे. त्या आवीने घोडाओने रोकीने रथने उभो राखे छे. उभो राखीने रथथी नीचे 8 उतरे छे. उतरीने ज्यां अंदरनी उपस्थानशाला छे, ज्यां माता-पिता (वेठा) छे त्यां आवे छे, आवीने माता-पिताने जय अने विज पासत सेवि य धम्मे हम यह श्रमण भगवंत महावार ने बहुश ACACACASEASON For Private And PersonalPage Navigation
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